नई दिल्ली: कोरोना वायरस इस समय पूरी दुनिया में तांडव मचा रहा है। इस महामारी ने दुनिया में 61 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है, तो वहीं अब तक 11 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वायरस नया है और अभी इसका कोई टीका है और न कोई दवा।
दुनियाभर में इसके इलाज, दवा और वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। इस बीच अब उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक इसकी काट ढूंढने के बहुत करीब पहुंच चुके हैं।
दवा से 48 घंटे में कोरोना खत्म!
ऐंटी-वायरल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इवरमेक्टिन नाम की दवा की सिर्फ एक डोज कोरोना वायरस समेत सभी वायरल आरएनए को 48 घंटे में खत्म कर सकता है। इसके साथ ही कहा गया है कि अगर संक्रमण ने कम प्रभावित किया है तो वायरस 24 घंटे में ही खत्म हो सकता है।
बता दें कि आरएनए वायरस उन वायरसों को कहा जाता है जिनके जेनेटिक मटीरियल में आरएनए यानी रिबो न्यूक्लिक ऐसिड होता है। इस स्टडी को ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी की काइली वैगस्टाफ ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिखा है।
दूसरे वायरसों के इलाज में इस्तेमाल होती है यह दवा
स्टडी में वैज्ञानिकों ने बताया है कि इवरनेक्टिन एक ऐसा ऐंटी-पैरासाइट ड्रग है जो एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जीका वायरस जैसे तमाम वायरसों के खिलाफ कारगर साबित हुआ है। हालांकि, वैगस्टाफ ने साथ में यह चेतावनी भी दी है कि यह स्टडी लैब में की गई है और इसका लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत होगी।
सुरक्षित दवा है इवरमेक्टिन
वैगस्टाफ के मुताबिक इवरमेक्टिन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है और यह सुरक्षित दवा मानी जाती है। उन्होंने कहा कि अब हमें यह देखने की आवश्यकता है कि इसका डोज इंसानों में (कोरोना वायरस के खिलाफ) कारगर है या नहीं। अब यह अगला चरण है। उन्होंने आगे बताया कि ऐसे वक्त में जब हम वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं और इसका कोई अप्रूव्ड इलाज नहीं है तो अगर हमारे पास पहले से मौजूद दवाओं का कोई मिश्रण हो तो यह लोगों को जल्दी मदद देगा।
लेकिन इवरमेक्टिन कोरोना वायरस पर किस तरह काम करता है, इसकी सटीक जानकारी का पता नहीं चल सका है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से यह दवा अन्य वायरसों पर काम करता है उसी तरह यह कोरोना पर भी काम करेगा। अन्य वायरसों में यह दवा सबसे पहले होस्ट सेल्स (वह कोशिकाएं जो सबसे पहले संक्रमण का शिकार हुईं और जिनसे अन्य कोशिकाओं में संक्रमण फैल रहा हो) में वायरस के प्रभाव को खत्म करता है।
अभी इंतजार करना होगा
स्टडी की एक अन्य को-ऑथर रॉयल मेलबर्न हॉस्पिटल की लियोन कैली के मुताबिक वह कोरोना वायरस की इस संभावित दवा को लेकर बहुत रोमांचित हैं। हालांकि उन्होंने चेताया कि प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग और उसके बाद क्लिनिकल ट्रायल्स के चरण अभी भी बाकी हैं। इन चरणों के नतीजों के बाद ही कोरोना वायरस के इलाज में इवरमेक्टिन का इस्तेमाल होना चाहिए।
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