सतना. जिले की शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में पढ़ने वाले 1.87 लाख स्कूली बच्चे स्व सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार ड्रेस में नजर आएंगे। अगर सब कुछ सही रहा और कोई बड़ी अड़चन नहीं आई तो जल्द ही ड्रेस बनाने का काम भी प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसके लिये एनआरएलएम मिशन से जुड़ी स्व सहयता समूह की 785 महिलाओं को स्कूली ड्रेस बनाने का पुन: प्रशिक्षण (रिफे्रशर ट्रेनिंग) दिया जा रहा है। इतना ही नहीं जिला पंचायत की ओर से डीएमएफ मद से अत्याधुनिक सिलाई मशीनें भी मंगाई गई है जो संभवत: अगले कुछ दिनों में पहुंच जाएंगी। कोरोना लॉकडाउन काल में मास्क बना कर अपने पैरों पर समूह की महिलाओं को खड़ा करने की अभिनव सफल पहल के बाद अब समूह की महिलाओं को मुख्य धारा में लाने का यह जिपं सीईओ ऋजु बाफना एक और प्रयास है। अगर यह सफल रहता है तो लगभग इससे महिलाओं को लाखों रुपये की आमदनी होगी।
सरकारी स्कूल में बच्चों को मुफ्त दी जाती है ड्रेस
शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को दो जोड़ी स्कूल ड्रेस देने का प्रावधान है। इसके लिये अभी तक शासन की ओर से बच्चों के खाते में 600 रुपये स्कूल ड्रेस के लिए डाल दिये जाते थे। इस राशि का कई मामलों उपयोग नहीं होता था तो काफी संख्या में समरूपता नहीं रहती थी। उधर जिपं सीईओ बाफना ने पाया कि स्वसहायता समूह की महिलाओं को अगर यह काम दे दिया जाए तो वे एक झटके में मुख्य धारा में आ जाएंगी। इसके लिये महिलाओं को एनआरएलएम मिशन के तहत आरसेटी से सिलाई का प्रशिक्षण दिलाया गया। इधर इस दिशा में शासन स्तर से प्रयास किये जा रहे कि ड्रेस बनाने का काम महिलाओं को मिल जाए। संभवत: सकारात्मक संकेत मिलने के बाद अब प्रशिक्षित 785 महिलाओं को विशेषज्ञता के लिए ब्लाक मुख्यालयों में रिफे्रशर ट्रेनिंग दी जा रही है। इन सभी महिलाओं के पास खुद की भी सिलाई मशीन है।
20 लाख की अत्याधुनिक मशीनें
जिपं सीईओ ने इस काम के लिये डीएमएफ मद से चार सेंटरों के लिये 20.46 लाख रुपये स्वीकृत कराए थे। इस राशि से अम्ब्रेला मॉडल इलेक्ट्रानिक सिलाई मशीन, इलेक्ट्रानिक कॉज बटन मशीन, इलेक्ट्रॉनिक कटिंग मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इन्टरलॉक मशीन का आर्डर हो चुका है। बताया गया है कि अगले कुछ दिनों में ये मशीनें आ जाएंगी जिन्हें नागौद और अमरपाटन के चार सेंटरों में स्थापित किया जाएगा। इसका उपयोग करने के लिये समूह की महिलाओं को जिम्मा दिया जाएगा। यहां भी स्कूल ड्रेस बनाए जाएंगे।
16 ट्रेनिंग सेंटर प्रारंभ
बताया गया है कि स्कूल ड्रेस बनाने का काम शुरू करने से पहले महिलाओं को जिले के सभी ब्लाक मुख्यालय के 16 रिफे्रशर ट्रेनिंग सेंटरों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें काम इस तरह से बताया जा रहा है कि कुछ समूह सिर्फ शर्ट, कुछ पैंट, कुछ सलवार कमीज बनाएंगे। ताकि तेजी से ड्रेस तैयार हो सकें। इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि ड्रेस के लिये कच्चा माल कहां से और कैसे लिया जाएगा। इन सभी के द्वारा 3.74 लाख स्कूल ड्रेस तैयार किये जाने हैं।
'' स्वसहायत समूहों की महिलाओं को मुख्यधारा में लाने कई काम प्रारंभ किये गये। मास्क निर्माण के बाद अब कोशिश है कि शासकीय विद्यालयों में बंटने वाले स्कूल ड्रेस समूह की महिलाएं बनाएं। इस दिशा में तेजी से प्रयास जारी हैं ''
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