कोरोना वायरस के इलाज के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बनकर सामने आ रही दवा डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) का भारत में अकूत भंडार है. भारत से ये दवा 107 देशों में एक्सपोर्ट की जाती है. भारत में इस दवा के 20 ब्रांड्स मौजूद हैं. देश में इस दवा की 10 टैबलेट की स्ट्रिप मात्र 3 रुपये की आती है.
कोरोना वायरस के लिए रामबाण कही जा रही इस दवा को भारत ने 107 देशों में एक्सपोर्ट किया है. जो दवा एक्सपोर्ट की गई उसकी कीमत करीब 116.78 करोड़ है.
इस दवा का उपयोग रह्यूमेटिक बीमारी, त्वचा संबंधी बीमारियों, एलर्जी, दमा, क्रोनिक ऑब्सट्र्क्टिव लंग डिजीस, दांत और आंखों की सूजन के लिए किया जाता है. यह एक स्टेरॉयड है, जिसे डॉक्टरों की देखरेख मे मरीजों को दिया जाता है.
भारत में इस दवा को सबसे ज्यादा जाइडस कैडिला, वॉकहॉर्ट, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स, जीएलएस फार्मा और वीथ लिमिटेड नाम की दवा कंपनियां बनाती हैं. अच्छी बात ये है कि ये दवा बेहद सस्ती है. इसकी दस गोलियां मात्र 3 रुपये में आती हैं. यानी 30 पैसे में एक टैबलेट.
ब्रिटेन में 2104 कोरोना मरीजों पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया. जो परिणाम आए वो चौंकाने वाले थे. इस दवा की उपयोग से वेंटिलेटर पर मौजूद मरीजों की मौत एक तिहाई कम हो गई.
देश में डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) के 20 ब्रांड्स हैं. भारत में इस दवा का बाजार 100 करोड़ रुपये सालाना का है. दवा कंपनियां इस दवा को तीन रूप में बनाती हैं. टैबलेट, इंजेक्शन और ओरल ड्रॉप.
डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) को 1957 में बनाया गया था. लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता 1961 में मिली थी. ये ऐसी दवा है जो सूजन, जलन, खुजली, एलर्जी, लाल धब्बे आदि को खत्म करती है.
भारत में बनने वाली डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मान्यता दे रखी है. भारत से ये दवा दुनिया के 107 देशों में सप्लाई होती है.
भारत से डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) के सबसे बड़े खरीदार हैं अमेरिका, नाइजीरिया, कनाडा, रूस, यूगांडा. ये पांचों देश डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) के निर्यात का 64.54 फीसदी हिस्सा बनाते हैं.
हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि अभी से डेक्सामिथेसोन (Dexamethasone) की क्षमता का आकलन करना जल्दबाजी होगी. लेकिन ट्रायल पर जो परिणाम आए है, वो तो बेहद सकारात्मक है.
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