उन्मुक्त चंद का छलका दर्द, कहा- मतलबी हैं सब खिलाड़ी, सिर्फ अपने लिये हैं खेलते

Unmukt Chand


नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2011 में 28 साल बाद दूसरा विश्व कप जीतकर खिताब का सूपड़ा साफ किया है। इस विश्व कप जीत के अगले साल ही भारतीय क्रिकेट टीम की अंडर-19 टीम ने दिल्ली के बल्लेबाज उन्मुक्त चंद की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप जीतने का कारनामा किया। वह विराट कोहली के बाद ऑस्ट्रेलिया में खिताब जीतने वाले दूसरे कप्तान बने थे, हालांकि उन्मुक्त को विराट कोहली की तरह मौका नहीं मिल सका।

लॉकडाउन के दौरान सारे खिलाड़ी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और इस फेहरिस्त में उन्मुक्त चंद का नाम भी जुड़ गया जो कि मशहूर कॉमेंटेटर आकाश चोपड़ा के साथ लाइव चैट करते नजर आये। इस दौरान उन्मुक्त चंद ने घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की टीम को लेकर बड़े खुलासे किये। उन्मुक्त चंद ने कहा कि दिल्ली में रहते हुए खेलना काफी मुश्किल होता है क्योंकि यहां हर कोई खिलाड़ी एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में लगा रहता है।

रणजी में क्यों फेल होती है दिल्ली की टीम

आकाश चोपड़ा के साथ बात करते हुए उन्मुक्त चंद ने कहा कि उन्हें दिल्ली की घरेलू टीम में वो माहौल नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। यही कारण है कि दिल्ली की टीम प्रतिभा शाली होने के बावजूद रणजी ट्रॉफी में उतना शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाई।

उन्होंने कहा, 'जब मैं अंडर 19 खेलकर दिल्ली के ड्रेसिंग रूम में आया तो मुझे टीम की भावना नहीं दिखीं। लोग एकजुट होकर नहीं खेलते। हालांकि गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी तब समर्थन करते थे। हाल के सालों में दिल्ली वैसी सफलता हासिल नहीं कर पाई है जैसे की विदर्भ जैसी टीमें कर रही हैं क्योंकि वह एकजुट नहीं है।'

मतलबी हैं सभी खिलाड़ी, टीम के लिये नहीं अपने लिये खेलते हैं

उन्मुक्त ने दिल्ली की घरेलू टीम पर आगे बात करते हुए बताया कि दिल्ली की टीम में हर खिलाड़ी मतलबी की तरह खेलता है। उसका ध्यान टीम के लिये खेलने से ज्यादा अपने लिये खेलने पर होता है।

उन्होंने कहा, 'खिलाड़ी प्रैक्टिस पर भी आते हैं तो ऐसा नहीं लगता कि टीम साथ में अभ्यास कर रही है। लगता है कि लोग नौकरी पर आए हैं, दो-तीन घंटे का काम पूरा करके अपने रास्ते चले जाएंगे।'

ऐसा लगा जैसे किसी ने फाड़ दिये कपड़े

कभी दिल्ली के लिये ही खेलने वाले आकाश चोपड़ा ने उन्मुक्त की बातों का समर्थन किया और सहमति जताते हुए कहा कि बाकी टीमों के ड्रेसिंग रूम में ऐसा नहीं होता।

उन्होंने कहा, 'जब मैं दिल्ली छोड़कर राजस्थान गया तो एहसास हुआ कि ड्रेसिंग रूम कितने खुशहाल भी हो सकते हैं। वहां हर कोई एक-दूसरे को बेहतर प्रदर्शन करते हुए देखना चाहता था। एक दूसरे की भलाई चाहता था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है क्योंकि दिल्ली में मैंने ऐसा कभी नहीं देखा।'

ऐसा लगा जैसे किसी ने फाड़ दिये कपड़े

गौरतलब है कि आकाश चोपड़ा की ही तरह उन्मुक्त चंद ने भी पिछले साल दिल्ली की टीम को छोड़करउत्तराखंड से खेलने का फैसला किया था। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्मुक्त ने बताया कि कैसे एक के बाद उनके लिये हालात बद से बदतर होते गये। उन्मुक्त ने बताया कि उनकी साथ हो रही इन घटनाओं ने उन्हें सकते में डाल दिया था।

उन्होंने कहा,'मेरे लिए सबसे बड़ा झटका तब रहा, जब मुझे दिल्ली की वनडे टीम से बाहर कर दिया गया। मैं साल 2016 में भारत ए की कप्तानी कर रहा था, रन बना रहा था। मुंबई में उत्तर क्षेत्र के लिए टी20 खेल रहा था, लेकिन मुझे दिल्ली की वनडे टीम से बाहर कर दिया गया। मैं शिखर धवन और गौतम गंभीर के साथ खेल रहा था। इसी समय सेलेक्टरों ने मुझसे कहा कि हम तुम्हें किसी और चीज के लिए तैयार कर रहे हैं और इतना कहने के साथ ही मुझे दिल्ली की टीम से ड्रॉप कर दिया।'

इस दौरान उन्मुक्त चंद ने आईपीएल से कॉन्ट्रैक्ट छीन जाने पर बात करते हुए बताया कि ,'वह पहले ही मुंबई इंडियंस की टीम को छोड़ने की योजना बना चुके थे। किसी ने मुझे मुंबई छोड़कर 'अपने पास' आने की सलाह दी थी लेकिन आखिरी में आईपीएल नीलामी में उन्हें किसी ने नहीं खरीदा।'

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