भारत की आजादी के दिन से जुडी कुछ रोचक यादें

भारत की आजादी के दिन से जुडी कई ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में हम में से बहुत लोग नहीं जानते हैं. आइए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में उन्हीं कुछ रोचक यादों से रुबरु कराते हैं.




भारत से पहले पाकिस्तान का जन्म: भारत के अंतिम वायसराय लाउड माउंटबेटन, इन्होंने ही भारत और पाकिस्तान की आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन चुना था. जब दाऊद माउंटबेटन भारत आए तो उस समय भारत और पाकिस्तान का विभाजन नहीं हुआ था. ऐसी स्थिति में किसी भी विवाद से बचने के लिए उन्होंने 14 अगस्त को पाकिस्तान को आजाद किया, और लाहौर को पाकिस्तान की राजधानी घोषित की.




आजादी के लिए 15 अगस्त ही क्यों: वायसराय माउंटबेटन ने हीं भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन चुना था. क्योंकि इस दिन को वो बेहद सौभाग्यशाली मानते थे. इसके पीछे कई वजहें थी. दरअसल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन जापान की सेना ने उनकी अगुवाई में ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था. और माउंटबेटन उस समय संबंध सेनाओं के कमांडर थे.




ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’: 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहरलाल नेहरू ने वायसराय लॉज से ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ दिया था. उस समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था. लेकिन गांधी उस दिन रात को 9:00 बजे ही सोने चले गए थे.




बिना राष्ट्रगान के जश्न: 15 अगस्त को जब भारत आजाद हुआ तो देश के पास अपना कोई राष्ट्रगान नहीं था. जन,गण, मन गान 1911 मे हीं लिखा जा चुका था, लेकगन ये गान, राष्ट्रगान 1950 में बना.


बापू नहीं हुए शामिल: पूरा देश जब आजादी का जश्न मना रहा था. उस वक्त महात्मा गांधी दिल्ली से दूर बंगाल के नोआखली में थे. कहते हैं वहां गांधी जी मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.




लाल किले पर नहीं फहराया गया था झंडा: 15 अगस्त 1947 को लाल किले से झंडा नहीं फहराया गया था. बल्कि नेहरू ने 16 अगस्त 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.




एक साथ तीन देशों की आजादी: 15 अगस्त के दिन ही भारत के अलावा अन्य तीन देशों का भी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. गौरतलब है कि जापान से दक्षिण कोरिया 15 अगस्त 1945 को आजाद हुआ था. तो वहीं बहरीन 15 अगस्त 1971 को ब्रिटेन से आजाद हुआ. और कांगो 15 अगस्त 1960 को फ्रांस से आजाद हुआ था.


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