बिहार की जनसंख्या
को देखते हुए बिहार के बहुत से लोग बाहर राज्यों में काम करने के लिए जाते है ऐसे लोगों
के लिए बिहार सरकार एक योजना चलाती है जिसके बारे में मजदूर वर्ग अनभिग्ग रहता है और
सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ का फायदा नहीं उठा पाता है।
बिहार सरकार द्वारा
चलाई जाने वाली इस योजना का नाम अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर योजना है इसके अंतगर्त अन्य
राज्यों में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों को मृत्यु या अपंगता की स्थिति में बिहार सरकार
वित्तिय सहायता प्रदान करती है।
अगर बिहार के
किसी मजदूर की किसी दूसरे राज्य में दुर्घटनावश तत्काल मृत्यु हो जाती है या
दुर्घटना के कारण अगले 6 महीनों के अंदर मृत्यु हो जाती है तो बिहार सरकार की ओर
से उसके आश्रितों को 1 लाख रुपये का अनुदान मिलता है. वहीं, अगर मजदूर दुर्घटना के चलते पूर्ण रूप से अपंग हो जाए तो 75,000 रुपये और
स्थाई आंशिक विकलांगता की स्थिति में 37,500 रुपये का अनुदान दिया जाता है.
पात्रता
अंतरराज्यीय
प्रवासी मजदूर योजना के तहत वित्तीय सहायता का प्रावधान राज्य के बाहर काम करने
वाले उन असंगठित मजूदरों के लिए है,
जो बिहार के रहने वाले
हैं. प्रवासी मजदूर की उम्र 18 से 65 साल के बीच होनी चाहिए.
योजना में किस तरह की दुर्घटना मान्य
ट्रेन या सड़क
दुर्घटना, बिजली का झटका, सांप का काटना, पानी में डूबना, आग, पेड़ या भवन गिर जाना, जंगली जानवरों का हमला, आतंकवादी या आपराधिक आक्रमण आदि से हुई
दुर्घटना.
स्वेच्छा से लगाई
गई चोट/आत्महत्या, मादक द्रव्य/पदार्थ के सेवन से हुई मौत
दुर्घटना में शामिल नहीं है.
आधार: जन्मतिथि, पता, मोबाइल नंबर,
ई-मेल या बायोमीट्रिक
डिटेल करानी है चेंज, हर अपडेट की सही फीस
प्रक्रिया
अगर बिहार के रहने वाले प्रवासी मजूदर की अन्य राज्य में मृत्यु होने पर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. उसके बाद मृतक का पोस्टमॉर्टम होगा और मृत्यु प्रमाण पत्र लेना होगा. उसी के आधार पर यह साबित होगा कि मरने वाला बिहार का रहने वाला था. इस प्रमाण पत्र के साथ क्लेम फॉर्म, जाति प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, FIR की कॉपी आदि डॉक्युमेंट लेकर मृतक के आश्रित को मृत मजदूर के बिहार में निवास क्षेत्र से संबंधित प्रखंड विकास अधिकारी/श्रम अधीक्षक/जिला पदाधिकारी के कार्यालय में दाखिल करना होगा. अगर सभी कागजात सही हैं तो दो महीने में मुआवजा आवंटित कर दिया जाता है.
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