मकान खरीदारों के लिए उत्‍तर प्रदेश की नई योजना

मंदी से निपटने के लिए अब उत्तर प्रदेश में रियल्टी कंपनियां पहले आओ पहले पाओ, किस्‍तों की लंबी अवधि के साथ किराया क्रय पद्धति के मकान तैयार करेंगी। इसकी शुरुआत सरकारी आवासीय संस्थाओं आवास विकास परिषद एवं विकास प्राधिकरणों से होगी। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में खाली पड़े मकानों को बेचने के लिए लॉटरी की जगह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बिक्री पहले से ही की जा रही है। अब खरीदारों को राहत देने के लिए उन्हें लंबी अवधि की किस्‍त सुविधा देने पर भी विचार किया जा रहा है। कोरोना संकट के चलते बड़ी तादाद में बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए किराया क्रय पद्धति के सस्ते मकान बनाने का आदेश प्रदेश सरकार पहले ही दे चुकी है।

आवास विकास परिषद और विकास प्राधिकरण पहले भी किराया क्रय पद्धति के मकान बनाता रहा है जहां आवंटी से कुछ रकम लेकर बाकी की धनराशि किराये के तौर पर किस्‍तों में चुकाने की सुविधा दी जाती रही है। रियल्टी सेक्टर में छायी मंदी को देखते हुए एक बार फिर यह व्‍यवस्‍था शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण बड़े-छोटे बिल्डर और प्राधिकरण एवं परिषद अपने तैयार मकानों और फ्लैटों को बेच नहीं पा रहे हैं। लॉकडाउन से जहां व्यापार और उद्योग धंधे कमजोर हुए हैं तो मकान और फ्लैट की कीमत में भी गिरावट आई है। आवास विकास परिषद एवं विकास प्राधिकरणों का बीते तीन माह से न कोई फ्लैट बिका है और न ही कोई मकान ही बिक सका है। निजी क्षेत्र के बिल्डरों का भी हाल बुरा है। जिन लोगों ने मकान या फ्लैट खरीदने के लिए एडवांस पैसा दिया था, अब वे भी बिल्डरों से अपने रुपये वापस मांग रहे हैं।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अकेले आवास विकास परिषद के 10,044 और लखनऊ विकास प्राधिकरण में लगभग 3,200 फ्लैट के साथ ही प्रदेश के अन्य विकास प्राधिकरणों में करीब 25,000 फ्लैट्स-मकान खाली हैं।

प्रमुख सचिव (आवास) दीपक कुमार के मुताबिक लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद अब आवास बंधु के प्रस्ताव पर विचार किया जाना है। आवास बंधु की तरफ से प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के बने फ्लैटों और मकानों को बेचने के लिए लंबी किस्त योजना का प्रस्ताव भेजा गया है। इस पर आगामी बैठक पर विचार होगा। उन्होंने कहा कि 1996 के बाद से फ्लैट और मकान की बिक्री को लेकर कभी भी लंबी किस्त योजना नहीं बनी। साल 96 से पहले इस प्रकार की योजना प्रदेश में थी। लंबी किस्त की योजना से फ्लैट या मकान खरीदने वालों को सुविधा होगी।

दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की ओर से किराया क्रय पद्धति के मकान बनाने की भी कवायद शुरू  कर दी गई है। फिलहाल इसका जिम्मा स्थानीय निकायों को दिया गया है। निकाय सस्ते किराये के सरकारी मकान भी बनाएंगे। इसी क्रम में सबसे पहले लखनऊ नगर निगम ने प्रवासी मजदूरों को रिहाइश उपलब्ध कराने के लिए राजधानी में जगहों की तलाश पूरी कर ली है। इन जगहों पर प्रवासी मजदूरों के सस्ते मकान बनाए जाएंगे। नगर निगम की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार से मकान बनाने के लिए धनराशि की मांग की गयी है या फिर इन मकानों को निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर भी बनाया जा सकता है।

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