पास-फेल होते होते 6 साल में पाई IAS की कुर्सी, अधिकारी बने लड़के ने दिए UPSC कैंडिटे्स को जबरदस्त टिप्स

करियर डेस्क. IAS Success Story of UPSC Topper Varun Reddy: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services) के लिए आवेदन करने वाले सभी आवेदकों की यह इच्छा होती है कि वे इस परीक्षा में चयनित होकर आईएएस (IAS) या आईपीएस (IPS) बनें। पर ऐसा तभी संभव हो पाता है जब कैंडिडेट न सिर्फ एग्जाम क्लियर करें बल्कि इंटरव्यू के मानकों पर भी खरा उतरे। यूपीएससी क्लियहर करने बहुत से लोगों को कई प्रयास लग जाते हैं। ऐसे ही एक कैंडिडेट ने 6 साल में इसमें सफलता हासिल की। इनका नाम है वरुण रेड्डी (Varun Reddy IAS) जिनकी यूपीएससी जर्नी काफी लंबी रही और मंजिल तक पहुंचने में उन्हें करीब पांच साल से ज्यादा लग गए।

इतने लंबे समय तक एक लक्ष्य के पीछे बिना निराश हुए डटे रहना आसान नहीं होता। कई बार लगता है गलत जगह कोशिश कर रहे हैं। कैंडिडेट को लगने लगता है कि गलत फील्ड में आ गए। ऐसे में भी हिम्मत बनाए रखना आसान नहीं होता। पर वरूण ने हिम्मत नहीं हारी और आखिर वो अफसर बनकर ही माने। आइए जानते हैं कि आखिर वरूण ने 6 साल में कैसे UPSC में सफलता हासिल की? सक्सेज स्टोरी के साथ ही उनके दिए कुछ काम के टिप्स भी- 

IIT से सिविल सेवा का सफर

वरुण ने हमेशा से सिविल सेवा में आने की नहीं सोची थी। वे पहले इंजीनियरिंग करके आईआईएम से एमबीए करना चाहते थे। हालांकि कुछ कारणों से उन्होंने सिविल सर्विस को कैरियर बनाने का मन बनाया। साल 2013 में वरुण ने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया था। उसी के बाद से वे यूपीएससी की तैयारी में लग गए थे। अगले ही साल उन्होंने 2014 में अपना पहला अटेम्पट दिया और इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए। दरअसल इंटरव्यू अगर क्लियर न हो तो कोई कैंडिडेट अफसर नहीं बन पाता। 

दूसरी कोशिश के बाद बदल दिए सब्जेक्ट

वरुण यूपीएससी सिविल सर्विसेस परीक्षा बढ़िया रैंक के  साथ पास करना चाहते थे। उनका विजन साफ था कि वे आईएएस (IAS) ही बनना चाहते हैं। इस कारण वरुण ने तब तक यह परीक्षा दी जब तक वे 2018 में 7वीं रैंक के साथ सेलेक्ट नहीं हो गए। 2014 के बाद अगले साल के अटेम्पट में वरुण का मेन्स में ही नहीं हुआ और उन्होंने अपना ऑप्शनल बदल दिया। ज्योग्राफी को हटा मैथ्स विषय को चुना और उनके ये फैसला कारगर रहा। 

2 बार सेलेक्शन के बाद भी क्यों रहे निराश?

ऑप्शनल सब्जेक्ट बदलने के बाद दो बार वरुण का सेलेक्शन हुआ पर एक भी बार उनके मन-मुताबिक रैंक उन्हें नहीं मिली। तब भी उन्होंने पढ़ाई बंद नहीं की। साल 2015 में मेन्स न क्लियर कर पाने और ऑप्शनल बदलने के बाद वरुण को तीसरे प्रयास में 166 रैंक मिली और चौथे प्रयास में 225 रैंक मिली। दोनों ही सालों में वरुण को वह रिजल्ट नहीं मिला जिसकी उन्हें चाह थी। वरुण भी जिद के पक्के थे और लगे रहे। अंततः पांचवें प्रयास में वे 07वीं रैंक के साथ टॉपर बने और करीब छः साल की मेहनत के बाद उन्हें IAS अफसर की कुर्सी हासिल हुई। 

दूसरे UPSC कैंडिडेट्स को वरूण की सलाह

वरुण अपने अनुभव से दूसरे कैंडिडेट्स को यही कहते हैं कि किसी भी विषय की बहुत किताबें इकट्ठी न करें और कुछ मुख्य किताबों से ही बार-बार रिवाइज करे जब तैयारी पक्की हो जाए तो मॉक टेस्ट देकर खूब प्रैक्टिस करें। यही एकमात्र जरिया है जिससे आप उत्तर लिखने की सही टेक्निक सीख सकते हैं। वरुण एक बात और ध्यान रखने के लिए कहते हैं कि जब परीक्षा की तैयारी शुरू करें तो अपनी स्ट्रेटजी को जितना हो सके सिंपल रखें।

हिस्ट्री के लिए छोटे-छोटे नोट्स बनाएं और करेंट अफेयर्स के लिए रोज नियम से न्यूज पेपर पढ़ें। हर विषय के अलग-अलग एमसीक्यू सॉल्व करें, यह प्री परीक्षा में बहुत मदद करते हैं। इनसे आपकी स्पीड बढ़ती है और आप पेपर को सही ढ़ंग से अपरोच करना सीख पाते हैं।

वरुण के सक्सेज टिप्स

वरुण दूसरे यूपीएससी कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि प्री और मेन्स की तैयारी इंटीग्रेटेड वे में करें। दोनों को अलग-अलग न समझें और एक साथ पढ़ें। सबसे जरूरी बात होती है सिलेबस के अनुसार पढ़ाई करना। वरुण सिलेबस को इतना जरूरी मानते हैं कि वे कहते हैं कि आपको सिलेबस इतनी बार देखना चाहिए कि याद हो जाए। जहां पढ़ते हों, वहां उसे स्टिक कर लें ताकि नजर के सामने हमेशा सिलेबस रहे। इसी के अनुसार तैयारी करें।

प्रैक्टिस है बहुत जरूरी 

टॉपर्स की कॉपी देखें कि वे आंसर्स को कैसे फ्रेम करते हैं। कौन से डायग्राम्स, फ्लोचार्ट्स आदि यूज करते हैं। उनसे प्रेरणा लेकर आप भी अपनी आंसर राइटिंग स्किल्स को इम्प्रूव करें। यह भी देखें कि विषय के हिसाब से कैसे उत्तर लिखने का तरीका फर्क होता है। हिस्ट्री के आंसर हों, पॉलिटी के, एथिक्स के या निबंध के, कैसे सबको लिखने की तकनीक अलग होती है इस पर गौर फरमाएं। टेस्ट सीरीज जरूर ज्वॉइन करें यह आपकी तैयारी परखने और कमियां पता करने का बेस्ट माध्यम होती हैं। वरुण तो जब कोई विषय तैयार हो जाता था तो केवल उस विषय के टेस्ट सॉल्व करते थे ताकि जान पाएं की विषय ठीक से प्रिपेयर हुआ है या नहीं।

अंत में वरुण यही कहते हैं कि यह सफर आमतौर पर लंबा होता है इसलिए हार न मानें और जब तक सफल न हो जाएं मेहनत करते रहें। कड़ी मेहनत का कोई रिप्लेसमेंट नहीं होता और मेहनत का फल कभी बेकार नहीं जाता। 


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