नई दिल्ली: अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्ध अब विश्वयुद्ध बनता जा रहा है। सेंट्रल एशिया की इस जंग में अब दो देश नहीं बल्कि 6 दुश्मन शामिल हो गए हैं। आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, तुर्की, पाकिस्तान और फ्रांस, वो 6 देश हैं जो अब सेंट्रल एशिया में चल रहे कातिल WAR में सीधे-सीधे शामिल हो चुके हैं। लेकिन इस महायुद्ध में शामिल हो रहे देशों का सिलसिला यहां रुका नहीं है।
अब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने भी तुर्की और रूस जैसी थर्ड पार्टियों को युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दे दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने तुर्की और पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि हमने सीरिया के लड़ाकों को सीरिया के युद्धक्षेत्र से लीबिया तक जाते हुए देखा है। इससे अस्थिरता, अशांति, संघर्ष, लड़ाई बढ़ रही है, शांति भंग हो रही है।
दो देशों का युद्ध वर्ल्ड वॉर बनता जा रहा है। अब फ्रांस ने भी इस युद्ध में सीधी एंट्री ले ली है। इजराइल अजरबैजान को हथियार बेच रहा है और रूस-तुर्की में सीधे-सीधे ठन गई है। पाकिस्तान और सीरिया से आए आतंकियों को तुर्की 1500 डॉलर सैलरी दे रहा है, लेकिन तुर्की और पाकिस्तान को इस साजिश की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। तुर्की और पाकिस्तान के खलीफा भूल गए हैं कि आर्मेनिया के साथ रूस की सैन्य संधि है। आर्मेनिया पर हमले को रूस हमला मानता है और पुतिन तुर्की-पाकिस्तान को करारा जवाब देने वाले हैं।
तुर्की ने आर्मेनिया में अपने F-16 फाइटर जेट से रूसी सुखोई 25 को निशाना बनाया। इसके बाद पुतिन का पारा चढ़ा हुआ है। अजरबैजान ने तुर्की से बायरक्तार TB2 ड्रोन खरीदा था। इसके अलावा अजरबैजान अकेला ऐसा मुस्लिम देश है, जिसकी इजराइल के साथ अच्छी दोस्ती रही है। इसलिए अजरबैजान इजराइल की खतरनाक मिसाइलों का भी इस्तेमाल कर रहा है।
तुर्की की एयरफोर्स भी आर्मेनिया पर कहर बनकर टूट रही है। अजरबैजान और तुर्की की एयरफोर्स चुन-चुनकर आर्मेनिया के सैनिकों, उनके टैंकों और रॉकेटलांचर्स को तबाह कर रही है। फ्रांस, रूस और अमेरिका तीनों सुपरपावर और तीनों देशों ने तुर्की को इस युद्ध से हट जाने और अजरबैजान को तुरंत युद्ध रोकने का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन तुर्की ने तीनों महाशक्तियों की बात को सिरे से नकार दिया है।
तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने साफ-साफ कहा है कि इस इलाके में किसी सुपरपॉवर का दखल बर्दाश्त नहीं होगा। एर्दोगन ने दो टूक कह दिया है कि अब संघर्षविराम तभी होगा जब आर्मेनिया की सेना नागोरनो-कराबाख का इलाका खाली करके निकल जाए।
भारत समेत दुनिया के कई देशों ने अजरबैजान और आर्मेनिया से युद्ध खत्म करने को कहा है, लेकिन अब शैतान तिकड़ी इस युद्ध में कैरोसिन डाल रहा है और सेंट्रल एशिया को शांत नहीं होने देना चाहते हैं।
तुर्की सीजफायर क्यों नहीं होने देना चाहता?
भले ही ये दहला देने वाला युद्ध हिंदुस्तान से 4000 किलोमीटर दूर लड़ा जा रहा है, लेकिन इसके पीछे भी भारत के दुश्मनों की ही नापाक डील है। इस षडयंत्र के पीछे दुनिया के बड़े हिस्से को इस्लामिक स्टेट बनाने की घातक तैयारी है। ये दुनिया के अमन चैन के खिलाफ चीन और कट्टर इस्लामिक सोच वाले देशों का खतरनाक गठबंधन है। जिनपिंग वर्ल्ड लीडर बनने का ख्वाब देखते हैं। इसीलिए ड्रैगन ने अमेरिका के दुश्मन देशों को इकट्ठा किया है। वो चीन ही है जो पाकिस्तान, तुर्की और ईरान जैसे इस्लामिक मुल्कों को मोहरा बना रहा है।
आर्मेनिया की जंग में पाकिस्तान और तुर्की सीधे सीधे शामिल हो गए हैं। सीरिया तक से ढूंढ-ढूंढकर ISIS के आतंकी जंग में भेजे गए हैं। ISIS के ये वो आतंकी हैं, जिन्होंने सीरिया और इराक में चुन-चुनकर शिया समुदाय की महिलाओं-बच्चों तक की बर्बर हत्याएं की थीं। अब इन इस्लामिक आतंकियों को आर्मेनिया की क्रिश्चियन आबादी के खिलाफ उतारा गया है।
जंग के बीच अजरबैजान ने ऐलान किया है कि उसन काराबाख के कई गांवों पर कब्जा कर लिया है और अब काराबाख उसका है। अजरबैजान के राष्ट्रपति ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके लिखा कि उनकी सेनाओं ने एक शहर और कई गांवों पर कब्जा कर लिया है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहम अलियेव ने लिखा अजरबैजान की सेना ने मदागिज शहर और सात गांवों में 'झंडा फहरा दिया' है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आर्मेनिया युद्ध में कमजोर पड़ गया है। हुआ सिर्फ इतना है कि अब युद्ध के नए मोर्चे खुल गए हैं। आर्मेनिया ने अजरबैजान के सबसे बड़े शहर गांन्जा पर जबर्दस्त बमबारी की है। वहीं अजरबैजान की फोर्स ने दावा किया है कि उनकी सेना ने आर्मेनिया के कई सैन्य ठिकानों और टैंकों पर भीषण बमबारी की है।
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