किसानों के लिए खुशखबरी : पराली बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू



अतिरिक्त किसान (Farmer) अपनी पराली की गांठ व बेल ग्राम पंचायत की जमीन पर भी स्टोर कर सकता है, जिसके लिए सरकार ने पंचायतों को निर्देश दिए हैं कि वह पराली स्टोर करने के लिए जगह उपलब्ध करवाएं। इस स्थान पर पराली को स्टोर कर किसान को रसीद उपलब्ध करवाएं।


किसान (Farmer) पराली बेच कर खासा मुनाफा ले सकते हैं। किसान स्ट्रा बेलर मशीन से धान के अवशेषों की गांठे ,बेल बनाकर पराली का प्रबन्धन तथा उसे बेचने के लिए कृषि विभाग (Agriculture Department) की वेबसाइट पर पंजीकरण करवा सकते हैं।

विभाग के उप निदेशक आत्माराम गोदारा ने ये जानकारी देते हुए बताया कि भिवानी जिले के जो किसान स्ट्रा बेलर मशीन से धान की पराली की गांठे व बेल बनाकर बेचना चाहते हैं, वे कृषि विभाग की वेबसाइट पर आनलाइन पंजीकरण करें। उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट के आप्सन इंडसटरी व पांवर प्लांट व प्लाइवुड फैक्ट्री व गोशाला पर जाकर ये गांठे व बेल बेच सकते हैं। इसके बाद उसका बिल प्राप्त करके पोर्टल पर अपलोड करवाएं। इसके अतिरिक्त किसान अपनी पराली की गांठ व बेल ग्राम पंचायत की जमीन पर भी स्टोर कर सकता है, जिसके लिए सरकार ने पंचायतों को निर्देश दिए हैं कि वह पराली स्टोर करने के लिए जगह उपलब्ध करवाएं। इस स्थान पर पराली को स्टोर कर किसान को रसीद उपलब्ध करवाएं।

किसान इस रसीद को कृषि विभाग के पोर्टल पर अपडेट करेगा। उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को जिला स्तरीय कमेटी द्वारा सत्यापन उपरांत सरकार की हिदायतों अनुसार 50 रूपए प्रति क्विटंल तथा एक हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जाएगा।

सहायक कृषि अभियन्ता नसीब सिंह धनखड़ ने बताया कि किसान खेत में ही धान की पराली को मिट्टी मे मिलाकर भी उसका प्रबन्धन कर सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा हर वर्ष फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी जिन किसानों ने कृषि विभाग के पोर्टल पर 21 अगस्त 2020 तक व्यक्तिगत फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आनलाइन आवेदन किया था, सरकार द्वारा उन सभी आवेदनों को स्वीकार कर लिया गया था।

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