चीन से अपनी फैक्ट्रियों को भारत शिफ्ट करने पर विचार करने वाली कंपनियों को भारत में खास फायदा दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) एक योजना तैयार कर रहे हैं जिसमें चीन में मैन्युफैक्चरर्स को फैक्ट्रियां भारत शिफ्ट करने पर इन्सेंटिव देने का कदम शामिल होगा। ये इन्सेंटिव इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज की भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के इरादे से दिए गए इन्सेंटिव के समान होंगे।
कोरोनावायरस के संकट के बाद बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता और सप्लाई चेन को एक ही स्थान पर सीमित नहीं करना चाहतीं। सरकार उन कंपनियों के साथ बातचीत करने के लिए कई ग्रुप बनाएगी जो चीन से बाहर निकलना चाहती हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज जैसे इन्सेंटिव कुछ अन्य सेक्टर्स को भी दिए जा सकते हैं। इस पर विचार किया जा रहा है।’
अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के साथ ही अतिरिक्त इन्सेंटिव देने से भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता वियतनाम के जैसी हो जाएगी। सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स रेट को घटाकर बिना किसी इन्सेंटिव के 22 पर्सेंट कर दिया था। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह 15 पर्सेंट का है।
DPIIT के पास पहले ही ऐसे राज्यों की सूची है जो मैन्युफैक्चरिंग प्रॉजेक्ट्स के लिए जल्द क्लियरेंस दे सकते हैं और जिनके पास जमीन के बड़े टुकड़े भी हैं। अधिकारी ने बताया, ‘बहुत से देश अब चाहते हैं कि उनकी इंडस्ट्री मैन्युफैक्चरिंग को डायवर्सिफाई करे।’ उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के विकल्प के तौर पर एक आकर्षक डेस्टिनेशन बनने के लिए अपनी नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं। इसके साथ ही देश में एक बड़ा मार्केट भी है जो अन्य देशों की तुलना में एक अतिरिक्त लाभ है।
सरकार ने इस बारे में ऐसी लगभग 100 एमएनसी के साथ बातचीत की है जिनकी चीन में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं और जो वहां से बाहर निकलना चाहती हैं। जापान ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को चीन से शिफ्ट होने में मदद के लिए 2.2 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है। चीन में कोरोना वायरस के फैलने की वजह से सप्लाई चेन पर बड़ा असर पड़ा है।
भारत का इससे पहले फोकस ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनने पर था, लेकिन अब सरकार देश को सप्लाई चेन के बड़े कंपोनेंट्स और फिनिश्ड प्रॉडक्ट्स का हब बनाना चाहती है। इसके अलावा सरकार का उद्देश्य चीन से महत्वपूर्ण प्रॉडक्ट्स के इम्पोर्ट पर निर्भरता कम करना भी है। इसके लिए एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) जैसे फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण रॉ मैटीरियल का देश में प्रॉडक्शन बढ़ाने की कोशिश भी की जा रही है। देश की कई ऑटोमोबाइल कंपनियां भी चीन से बड़े पैमाने पर कंपोनेंट्स का इम्पोर्ट करती हैं।
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