कोरोना वायरस की वजह पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. सभी गैर-जरूरी सेवाएं और सुविधाएं बंद हैं. सरकार लोगों से घर से बाहर निकलने के लिए मना कर रही है. लॉकडाउन से असंगठित क्षेत्र के कामगारों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. बाजार और मंडियां सूनी पड़ी हैं. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के वैशाली मार्केट में भी देखने को मिल रहा है.
लॉकडाउन से पहले वैशाली मार्केट में फल और सब्जी विक्रेताओं और ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी. लेकिन अब पूरा मार्केट सुनसान पड़ा है. ये मार्केट गाजियाबाद के वैशाली इलाके का सबसे बड़ा बाजार है. दिल्ली बॉर्डर से इसकी दूरी लगभग 2 किमी की है.
लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर भीख मांगकर गुजारा करने वाले लोग और रिक्शा चालकों जैसे दिहाड़ी कामगारों पर हुआ है. लोगों के घर में रहने की वजह से रिक्शा चालकों की आय एकदम खत्म हो गई है.
रिक्शा चालक को मांगनी पड़ी भीख
PTI की एक खबर के मुताबिक, वैशाली मार्केट में सालों से रिक्शा चलाकर जिंदगी बिताने वाले एक शख्स के लिए लॉकडाउन सबसे बुरा समय बनता जा रहा है. इस शख्स ने पूरी जिंदगी ईमानदारी से पैसे कमाए हैं. लेकिन अब कमाई का जरिया खत्म होने से उसे पेट भरने के लिए भीख मांगनी पड़ रही है.
PTI की खबर कहती है कि लोगों की मदद कर रहे एक शख्स को देखकर ये रिक्शा चालक उससे पैसे मांगने पहुंचा. रिक्शा वाले ने कहा कि उसने काफी समय से कुछ खाया नहीं है और उसे एक केला खरीदने के लिए पैसा चाहिए. रिक्शा चालक कहता है, “पूरी जिंदगी ईमानदारी से बिताने के बाद अब आने-जाने वालों से पैसा मांगने की वजह निराशा है.”
लोगों के घरों में काम करने वाली सुमन ने PTI को बताया कि कभी-कभार कुछ लोग आते हैं और अनाज या घर का सामान दे जाते हैं. सुमन ने कहा, "मेरे परिवार में सात लोग हैं. 1 किलो आटा कितने दिन चलेगा." सुमन ने PTI को बताया कि वो जिन दो घरों में काम करती है, वहां से उसे लॉकडाउन के बावजूद मार्च की पूरी सैलरी मिली थी. लेकिन अब अगर लॉकडाउन 14 अप्रैल से आगे बढ़ता है तो सुमन की कमाई का कोई जरिया नहीं होगा.
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