मिथुन पर टूटता दाउद इब्राहिम का कहर, अगर बीच में न आ जाते संजय दत्त


90 के दशक में बॉलीवुड पर underworld की पकड़ काफी मजबूत हो चुकी थी. मन्दाकिनी,नगमा ,मोनिका बेदी और ममता कुलकर्णी जैसी कई हसीनाएं सीधे माफिया को बॉलीवुड में represent करने लगी थी. ये हसीनाएं किसी ना किसी भाई की आइटम थी इसलिए इनके हीरो भी भाई लोगों द्वारा ही तय किये जाते थे .यानी इन्हें किनके साथ काम करना है किनके साथ नहीं करना इसका डिसीजन भाई लोग ही लेते थे .इसी चक्कर में मंदाकिनी के कारण एक बार मिथुन चक्रवर्ती underworld के हत्थे चढ़ गए .अगर संजय दत्त ने दाउद और मिथुन के बीच शांतिदूत का काम नहीं किया होता तो मिथुन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती .क्या था मामला ? आइये जानते हैं..


1987 से लेकर 1990 के बीच मिथुन ने मंदाकिनी के साथ कुल 13 फिल्मों में काम किया .इनमें डांस-डांस ,जीते हैं शान से और कमांडो जैसी सफल फ़िल्में भी शामिल थी. दरअसल मिथुन का दिल मंदाकिनी पर आ चुका था और वो अपने हर निर्माताओं से मंदाकिनी को फिल्म में लेने की सिफारिश किया करते थे. लेकिन मंदाकिनी पर भाई यानि दाउद नजर गडाए बैठा था. जाहिर है मन्दाकिनीं में मिथुन की ये दिलचस्पी भाई को रास नहीं आ रही थी.


वही हुआ जिसका शक था .अज्ञात सूत्रों से मिथुन को मंदाकिनी से दूर रहने की चेतावनी मिल गई लेकिन मिथुन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया .उस दौर में हर ऐरा-गैरा भाई बनकर फिल्म स्टार्स को धमकाने का काम किया करता था .इसलिए शायद मिथुन ने भी इसे ऐसा ही कुछ समझा होगा .लेकिन उन्हें स्थिति की गंभीरता का एहसास तब हुआ जब कई बार उन्होंने महसूस किया की उनका पीछा किया जा रहा है.


मिथुन पूरी तरह माफिया के निशाने पर थे बस मौके का इंतज़ार किया जा रहा था. स्थिति की गंभीरता का एहसास होते ही मिथुन ने अपने दोस्त संजय दत्त की शरण ली जो उन दिनों भाई लोगों के काफी करीबी माने जाते थे और underworld और बॉलीवुड के बीच ब्रिज का काम करते थे.


संजय दत्त ने भाई का साफ़-साफ़ मेसेज मिथुन को दे दिया कि वो मंदाकिनी के चक्कर में ना पड़े. जान बची तो लाखों पाए.. भला मिथुन मंदाकिनी के कारण क्यों मुसीबत मोल लेते. उन्होंने खुद को मंदाकिनी से दूर कर लिया. इस तरह संजय दत्त के कारण मिथुन एक बड़ी मुसीबत से बच गए.


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