साल 2004 में 3 से 5 नवंबर के बीच वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में भारत और ऑस्ट्रेलिया के मध्य एक ऐसा टेस्ट मुकाबला खेला गया था जो बेहद ही रोमांचक था। क्योंकि भारतीय टीम 106 रनों के लक्ष्य को भी डिफेंड कर लिया था।
इस मैच में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए अपनी पहली पारी में 104 रनों पर सिमट गई थी। राहुल द्रविड़ 31, अनिल कुंबले 16, हरभजन सिंह 14 और दिनेश कार्तिक 10 रनों का योगदान दिया था।
ऑस्ट्रेलिया की टीम अपनी पहली पारी में 205 रन बनाए थी। डेमियन मार्टिन 55, मैथ्यू हेडन 35, एडम गिलक्रिस्ट 26 और माइकल क्लार्क ने 17 रन बनाए थे। भारत के लिए अनिल कुंबले 5, मुरली कार्तिक 4 और जहीर खान ने 1 विकेट चटकाए थे।
भारतीय बल्लेबाजों ने पहली पारी के अपेक्षा दूसरी पारी में थोड़ा अच्छा बल्लेबाजी किया और वीवीएस लक्ष्मण 69, सचिन तेंदुलकर के 55, राहुल द्रविड़ के 27 और मोहम्मद कैफ के 25 रनों की बदौलत 205 रन बनाए थे और ऑस्ट्रेलिया को 107 रनों का लक्ष्य दिया।
इस छोटे से लक्ष्य को देखते हुए लग रहा था कि भारतीय टीम इस मैच को आसानी से हार जाएगी। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी बेहद मजबूत थी। एक से बढ़कर एक दिग्गज बल्लेबाज आस्ट्रेलिया के टीम में मौजूद थे।
लेकिन फिर हुआ चमत्कार
भारतीय गेंदबाजों ने आसान से लक्ष्य को भी आस्ट्रेलिया के लिए बेहद मुश्किल बना दिया। हरभजन सिंह और मुरली कार्तिक के कातिलाना गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ज्यादा देर तक क्रीज पर टिक नहीं पाए और 30.5 ओवर में 93 रन पर ढेर हो गए थे और भारतीय टीम 13 रन से विजई मिली थी।
मैथ्यू हेडन 24, कप्तान रिकी पोंटिंग 12 रनों का योगदान दिया। ऑस्ट्रेलिया के सात बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर सके थे। हरभजन सिंह ने 10.5 ओवर में 29 रन देकर 5 विकेट, मुरली कार्तिक 12 ओवर में 32 रन देकर तीन विकेट चटकाए थे। इसके अलावा जहीर खान और अनिल कुंबले को भी एक-एक विकेट मिला था।
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