सड़क पर पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ अब सोनू सूद का नाम जुड़ गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार सोनू सूद अभी तक 12 हजार से अधिक मजदूरों को उनके घर पहुंचा चुके हैं। इसे लेकर सोनू सूद की जमकर तारीफ हो रही है। जाहिर सी बात है कि सोनू इन सभी मजदूरों को अपने खर्च और दोस्तों की मदद से भेज रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों का दर्द जानता हूं, मैं भी ट्रेन के वॉशरूम के बगल सोकर मुंबई आया था- सोनू सूद
ऐसे में अगर 12 हजार मजदूरों के भेजने के खर्च का हिसाब लगाया जाए तो इसकी रकम करोड़ के करीब जा सकती है। सोनू सूद लगभग एक महीने से प्रवासी मजदूरों से संपर्क करके और उनके लिए टोल फ्री नंबर जारी कर लगातार दिन-रात एक करके काम कर रहे हैं।
हाल ही में सोनू सूद ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे हर बस की सुविधा देने के लिए उन्हें कितना खर्च उठाना पड़ता है। चलिए फिर जानते हैं कि कैसे सोनू सूद की कोर टीम इस पूरे अभियान को सफल बनाने में कामयाब हुई है। यहां पढ़िए डिटेल रिपोर्ट...
राज्य सरकार की परमिशन से बसों का इंतजाम
सोनू सूद ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अभी तक सारी बसों का इंतजाम राज्य सरकार से परमिशन लेकर किया है। आपको बता देें कि हाल ही में सोनू सूद ने इस बात की जानकारी दी थी कि उनके पास लोगों के मैसेज थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों की तस्वीर देखने के बाद फैसला
सोनू सूद ने इस पूरे मामले के पीछे प्रेरणा बताते हुए कहा कि जब उन्होंने कुछ प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें देखीं तो रात को उन्हें नींद नहीं आती थी। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह अब प्रवासी मजदूरों की मदद करेंगे।
सोनू सूद ने बताया हर बस के पीछे का खर्च
प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का खर्च बताते हुए सोनू सूद ने बताया कि एक बस के पीछे तकरीन 2 लाख खर्च हो जाते हैं। ये सब इस पर भी निर्भर करता है कि प्रवासी को कहां जाना है। बता दें कि इस हिसाब से सोनू अब तक करोड़ के करीब खर्च कर चुके होंगे।
बस के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग के कारण अधिक इंतजाम
सोनू सूद ने बताया कि कोरोना से सुरक्षा का ध्यान और सोशल डिस्टेंसिंग भी देखना है। उसके नियम का पालन बस के अंदर भी करना है। ऐसे में एक बस को पूरी तरह नहीं भरा जाता है। इस लिहाज से ज्यादा बसों का इंतजाम करना होता है।
ऐसे काम करती हैं सोनू सूद की कोर टीम
सोनू सूद की एक कोर टीम है, जो कि लगातार प्रवासी मजदूरों के लिए बीते एक महीने से काम कर रही हैं। हेल्पलाइन नंबर पर फोन आते ही सोनू सूद की पत्नी सोनाली इसे नोट करती हैं। सोनू के बच्चे ईशान और अयान एक सूचि बना लेते हैं कि किसको किस बस भेजा जाएगा। किसको कहां जाना है।
ऐसे होती है खाने और सफाई का ध्यान
इसके साथ दो राज्यों के बीच कागजी कार्रवाई और प्रवासियों की हेल्थ की जांच भी की जाती है। फिल्म इंडस्ट्री के कुछ स्टार्स रोहित शेट्टी, तब्बू और फराह खान की तरफ से भी सोनू को प्रवासियों के लिए खाने और सुरक्षा के लिहाज से मदद दी जा रही है।
प्रवासी मजदूरों के दर्द को पहचानता हूं
सोनू सूद ने हाल ही में कहा है कि वह जब तक हर एक प्रवासी को उनके घर नहीं पहुंचाते हैं उनका ये काम जारी रहेगा। वहीं इस बीच एक इंटरव्यू में सोनू सूद ने खुलासा करते हुए कहा है कि वह प्रवासी मजदूरों का संघर्ष जानते हैं क्योंकि वह भी इसका सामना कर चुके हैं।
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