972 साल बाद बना ये खास संयोग, काशी के पंडितों की कोरोना पर भविष्यवाणी



ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है. इस बार शनि जयंती 22 मई यानी आज है. इस दिन शनि देव के पूजन का विशेष विधान है. काशी के ज्योतिषियों ने 972 वर्षों बाद शनि जयंती पर बन रहे विशेष संयोग के बारे में बताया है.




ज्योतिषियों ने कोरोना के संक्रमणकाल में जो भविष्यवाणी की है वो किसी नई उम्मीद से कम नहीं है. ज्योतिषियों के अनुसार शनि जयंती के दिन चार ग्रह एक ही राशि में रहेंगे. माना जा रहा है कि इस संयोग से 22 मई शनि जयंती के बाद से कोरोना महामारी में भी कमी आ सकती है.




आज जब आधुनिक मेडिकल साइंस भी कोरोना महामारी के आगे नतमस्तक होता दिख रहा है तो किसी भी अन्य जगह से मिल रही उम्मीद भरी खबर आशा को बढ़ा रही है. धर्म की नगरी काशी के ज्योतिषी ने इस बार 972 वर्षों बाद पड़ने वाली शनि जयंती के विशेष अवसर पर ऐसी ही उम्मीद जाहिर की है.




ज्योतिषाचार्य और काशी विद्वत परिषद् के संगठन मंत्री पंडित दीपक मालवीन ने ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करके बताया कि 22 मई को शनि जयंती पर होने वाला विशेष संयोग कोरोना जैसी महामारी को हराने में कारगर होगा और शनि जयंती के बाद कोरोना महामारी में कमी आ सकती है.




पंडित दीपक मालवीन ने बताया कि किसी भी व्याधि या संक्रमण की अवधि एक ग्रहण काल से दूसरे ग्रहण तक ही रहती है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की शुरूआत पिछले वर्ष 26 दिसंबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण से हुई थी जो अब अगले 21 जून 2020 को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण तक रहेगी.




उन्होंने बताया कि 22 मई ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या यानि शनि जयंती को एक बड़ा संयोग पड़ रहा है. शनि पाप ग्रह, न्याय के देवता और क्रूर ग्रह भी हैं. जिन लोगों के ऊपर शनि की साढ़े साती और शनि की महादशा चल रही हो, उनके लिए एक स्वर्णिम योग है. इस संयोग में शनि देव की अराधना करके इन दिक्कतों से मुक्ति पाई जा सकती है.




पंडित दीपक मालवीन ने बताया कि 972 वर्षों बाद 22 मई को शनि जयंती पर चार ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र एक साथ वृष राशि में रहेंगे. ऐसा ही संयोग सन 1048 में बना था और अब आगे पांच सौ वर्षों बाद होगा. इस विशेष संयोग में शनि देव की अपासना, अराधना और उनकी सामाग्रियों के दान देने से अधिक से अधिक लाभ मिलेगा.


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