माता पिता की सेवा में खुद को खपाने वाले श्रवण कुमार की कहानी को जिंदा करने वाली बिहार की बेटी ज्योति पासवान की मदद में अब केंद्र सरकार भी खड़ी हो गई है। ज्योति अपने बीमार पिता को साइकिल पर सवार कर 1200 किलोमीटर की यात्रा कर बिहार में अपने गांव पहुंची थी। केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान के आग्रह के बाद खेल मंत्री किरण रिजीजू ने आश्वासन दिया कि ज्योति को राष्ट्रीय साइक्लिंग अकादमी में प्रशिक्षु के रूप में चुना जाएगा।
यूं तो छोटी उम्र की ज्योति के साहस और सेवा ने पहले ही देश का दिल जीत लिया था और भारतीय साइक्लिंग फेडरेशन ने उसे ट्रायल के लिए आमंत्रित किया था। रविवार को पासवान की पहल के बाद और तेजी आई। पासवान ने ट्वीट खेलमंत्री से आग्रह किया कि ज्योति की साइक्लिंग की प्रतिभा को और निखारने के लिए उचित प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति की व्यवस्था करें।
मैं केन्द्रीय खेल मंत्री जी से भी आग्रह करता हूं कि पूरी दुनिया में साहस की मिसाल कायम करने वाली देश की बेटी की साइकलिंग की प्रतिभा को और अधिक संवारने के लिए इसके उचित प्रशिक्षण और छात्रवृति की व्यवस्था करें। 2/2
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan)
रिजीजू की तरफ से तत्काल जवाब आया। उन्होंने कहा कि स्पोर्टस अथारिटी से ज्योति के परीक्षण के बाद वह रिपोर्ट मंगवाएंगे। यदि संभावित पाया गया तो ज्योति को इंदिरा गांधी स्टेडियम परिसर स्थित साइक्लिंग अकादमी में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। बताया जाता है कि पासवान के सांसद पुत्र चिराग पासवान की ओर से पहले ही ज्योति को कुछ आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई थी।
मैं विश्वास दिलाता हूं जी, SAI अधिकारियों और साइक्लिंग फेडरेशन्स से ज्योति कुमारी के परीक्षण के बाद मुझे रिपोर्ट करने के लिए कहूंगा। यदि संभावित पाया, तो उसे नई दिल्ली में IGI स्टेडियम परिसर में राष्ट्रीय साइक्लिंग अकादमी में प्रशिक्षु के रूप में चुना जाएगा।
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju)
गौरतलब है कि लॉकडाउन में गुरुग्राम से पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किमी की दूरी तय कर दरभंगा (बिहार) पहुंचने ज्योति की इस समय खूब चर्चा हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ट्वीट कर ज्योति की तारीफ की थी। इवांका ने ट्वीट कर कहा था कि 15 साल की ज्योति कुमारी ने अपने जख्मी पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई। इवांका ने आगे लिखा कि सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने भारतीय लोगों और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
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