आखिर रवींद्रनाथ टैगोर की किस बात पर हंस पड़ी थी पत्नी ?
हम सब जानते ही हैं कि गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध रवींद्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे. वे अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है. बता दे कि वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय भी थे.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि रवींद्रनाथ टैगोर ने गांव के जीवन को बहुत करीब से देखा था. वह किसानों-काश्तकारों के जीवन में फैले अशिक्षा के अंधकार को मिटाना चाहते थे. उन्होंने महसूस किया कि देश के विकास के लिए पहले गरीब किसानों का विकास जरूरी है. इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने योजना बनाई कि कोलकाता से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर स्थित शांतिनिकेतन में जो उनकी थोड़ी-बहुत जमीन है, उस पर इन किसानों और काश्तकारों के बच्चों की शिक्षा के लिए एक स्कूल खोला जाए.
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बस फिर क्या था रवींद्रनाथ टैगोर स्कूल खोलने के विषय पर मशविरा करने के लिए पत्नी के पास पहुंचे. उनके इस विचार को सुनकर उनकी पत्नी हंस पड़ीं. उन्हें आश्चर्य इस बात का था कि स्कूली शिक्षा से हद दर्जे तक भागने वाला आज स्कूल की स्थापना करने की बात कैसे सोच रहा है. उनकी पत्नी ने कहा, ‘आपके स्कूल खोलने की बात मेरी समझ में नहीं आई.’ टैगोर ने पत्नी की इस जिज्ञासा और हंसी को शांत करने के लिए कहा कि वह उन स्कूलों जैसा स्कूल नहीं खोलने वाले हैं, जहां बंद कोठरियों और कमरों में छड़ी के दम पर बच्चों को सबक रटाए जाते हैं. शांतिनिकेतन वृक्षों के नीचे खुले में व्यवहारिक शिक्षा देनेवाला पहला स्कूल होगा.’
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