आज है टटेंडा टायबू का जन्मदिन
नई दिल्ली. 14 मई 1983 को हरारे में एक ऐसे खिलाड़ी ने जन्म लिया था जिसे जिम्बाब्वे क्रिकेट का भविष्य माना जाता था, उसके अंदर बेमिसाल प्रतिभा थी लेकिन राजनीतिक गतिविधियों के चलते उसका करियर समय से पहले खत्म हो गया और वो अपनी प्रतिभा के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाया. बात हो रही है जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर टटेंडा टायबू (Happy Birthday Tatenda Taibu) की, जिनका आज 37वां जन्मदिन है.
टायबू का करियर
साल 2001 में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले टटेंडा टायबू (Tatenda Taibu) ने अपने करियर में 28 टेस्ट मैचों में 1546 रन बनाए. जबकि वनडे में उन्होंने 3393 रनों का योगदान दिया, जिसमें दो शतक भी शामिल थे. टायबू ने अपने देश के लिए 17 टी20 मैच भी खेले.
टटेंडा टायबू (Tatenda Taibu) ने महज 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा था और जब वो 18 साल के थे तो उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला मैच खेला. टायबू की विकेटकीपिंग गजब की थी और वो बहुत जल्दी ही महान विकेटकीपर-बल्लेबाजों में से एक एंडी फ्लावर के उत्तराधिकारी भी बन गए.
टायबू बने कप्तान
डेब्यू के महज 3 साल के बाद सिर्फ 21 साल की उम्र में टायबू (Tatenda Taibu) जिम्बाब्वे के कप्तान भी बन गए. ये सब हुआ जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की वजह से जिन्होंने अपने देश के क्रिकेट को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मुगाबे ने जिम्बाब्वे की टीम में कोटा सिस्टम शुरू करने की कोशिश की, जिसके खिलाफ सभी खिलाड़ियों ने आवाज उठाई. देखते ही देखते कप्तान हीथ स्ट्रीक को कप्तानी से हटा दिया गया और दूसरे बड़े खिलाड़ियों जैसे एंडी फ्लावर, ग्रांट फ्लावर को जान से मारने की धमकियां मिली, नतीजा इन सभी ने इंटरनेशनल क्रिकेट ही नहीं बल्कि देश भी छोड़ दिया.
सरकार ने दी जान से मारने की धमकी
टायबू (Tatenda Taibu) को एक बेहद ही कमजोर टीम की कप्तानी मिली और साल 2005 में साउथ अफ्रीका दौरे पर इस टीम को बेहद ही शर्मनाक हार मिली. जिसके बाद टायबू ने जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड पर कई आरोप लगाए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद टायबू को मुगाबे सरकार की ओर से जान से मारने की धमकियां मिली और नतीजा ये हुआ कि टायबू ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया
संन्यास से वापसी
रिटायर होने के बाद टायबू (Tatenda Taibu) ने साउथ अफ्रीका में क्लब क्रिकेट खेला और फिर दो साल बाद उन्होंने अपना संन्यास वापस ले लिया. फिर साल 2008 में टायबू को आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीदा और उन्होंने जिम्बाब्वे के मैच छोड़कर आईपीएल को चुना, जिसके बाद जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने उनपर 10 मैचों का बैन लगा दिया.
संन्यास लेकर बने पादरी
साल 2011 में टटेंडा टायबू ने एक बार फिर क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए कुछ नहीं कर रहा है. इसके बाद टायबू एक चर्च में पादरी बन गए. इस तरह टायबू का करियर महज 29 साल की उम्र में खत्म हो गया.
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