काम की तलाश में आए भाई से बहन ने कहा, मेरे घर से चले जाओ



आंखों से छलकते आंसू..। लड़खड़ाती जुबान से निकलते टूटे-फूटे शब्द..। कोरोना संक्रमण काल में भाई-बहन के मजबूत रिश्ते के बीच आई दूरियों ने अंबेडकर नगर के रहने वाले प्रदीप पांडेय को इस कदर तोड़ दिया कि घंटाघर रामलीला मैदान पहुंचने पर खुद को रोक नहीं पाए। फफक-फफक कर रो पड़े। मदद की गुहार लगाते हुए प्रदीप ने बताया कि वह लॉकडाउन से पहले काम की तलाश में वसुंधरा अपनी बहन के घर आए थे। अब बहन ने कह दिया कि मेरे घर से चले जाओ।

प्रदीप पांडेय ने बताया कि वह अंबेडकर नगर के चतुरपुर कैतिया गांव के रहने वाले हैं। दसवीं कक्षा तक पढ़े हैं। गांव में वह पिता के साथ खेती में हाथ बंटाया करते थे। उन्होंने बताया कि उनकी बहन रेणु वसुंधरा सेक्टर-चार में रहती है। जनता क‌र्फ्यू से दो दिन पहले वह दिल्ली-गाजियाबाद में नौकरी की तलाश में बहन के घर आए थे। 25 मार्च से लॉकडाउन हो गया। तब से बहन के घर रह रहे थे। प्रदीप ने बताया कि उनके जीजा की इलेक्ट्रिकल आइटम की दुकान है। जोकि लॉकडाउन के दौरान बंद रही। इस कारण उनकी आय भी नहीं हो रही थी। अब जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन और बसें चलीं तो बहन ने स्पष्ट कहा दिया कि तुम मेरे घर से चले जाओ।प्रदीप ने बताया कि वह नौकरी करना चाहता थे। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ऐसी मजबूरियों ने जन्म ले लिया कि मजबूत रिश्ते में दूरियां आ गईं। प्रदीप ने बताया कि इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी।

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