लॉकडाउन का असर : निजी स्कूलों के टीचर कर रहे मनरेगा में मजदूरी, लग्जरी गाड़ियों वाले बेच रहे सब्जी

राजस्थान में कोरोना वायरस का कहन थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 7945 पहुंच गया है। कोरोना के चलते 31 मई तक लॉकडाउन-4 लागू है। लॉकडाउन में उद्योग-धंधों के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं। रोजगार के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है।

Private School Teacher working in MGNREGA Due to lockdown in Rajasthan


निजी स्कूलों में हजारों रुपए महीना कमाने वाले शिक्षक भी इन दिनों नरेगा में मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में जयपुर के शिक्षक रामवतार सिंह बताते हैं कि वे प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे। प्रति माह 20 से 25 हजार रुपए कमा रहे थे, मगर लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद हो जाने पर नरेगा में काम करने को मजबूर हैं।

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Jaipur: Ramavtar Singh who worked as a teacher at a private school now works as a labourer under the MGNREGA scheme, says,"due to #COVID19 many teachers like us who used to earn around Rs 20,000 to Rs 25,000 are now working here. Schools have been closed so we applied here"



ऐसी स्थिति अकेले रामवतार सिंह की नहीं है बल्कि राजस्थान में अनेक शिक्षक और प्राइवेट कम्पनियों में काम करने वाले लोग इन दिनों मनरेगा में काम रहे हैं। लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट से जूझने के कारण पढ़े-लिखे लोगों मजदूर बनना पड़ रहा है।

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इधर, लग्जरी गाडियों में बेच रहे सब्जियां

एक तरफ शिक्षक मनरेगा में मजदूरी करते दिख रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर लग्जरी गाड़ियों के मालिक सब्जी बेचने को मजबूर हैं। जयपुर में विदेशी सैलानी जिन लग्जरी गाड़ियों में बैठकर गुलाबी नगरी की सैर करते थे वह गाड़ियां या तो खड़ी धूल फांक रही हैं या फिर कोई और काम करने के लिए मजबूर हो गए हैं। ऐसे समय में कई गाड़ी मालिक किस्त चुकाने के लिए लग्जरी गाड़ियों में सब्जी बेचते भी नजर आ रहे हैं।

jaipur taxy


ऑल राजस्थान टूरिस्ट कार एसोसिएशन के प्रदेश सचिव प्रदीप पाराशर के अनुसार जयपुर शहर में 35 हजार टैक्सी हैं। इनमें से 80 फ़ीसदी गाड़ियां लोन पर हैं। किस्त भी औसतन 14 हजार से लेकर 35 हजार रुपए तक है। ऐसे में किस्त चुकाना किसी भी वाहन मालिक के लिए आसान नहीं है। मजबूरी में उनमें सब्जियां बेचनी पड़ रही हैं।

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