सचिन तेंडुलकर. बैटिंग की दुनिया का एवरेस्ट. पहाड़ खड़ा कर रखा है रनों का. 100 इंटरनेशनल शतक. 34 हज़ार से ज़्यादा रन. वन डे में पहली डबल सेंचुरी. 76 बार मैन ऑफ़ दी मैच अवॉर्ड. बल्ले से क्या कुछ नहीं किया है इस आदमी ने! कोई आसपास भी नहीं है. लेकिन क्या सिर्फ बल्ले से ही उन्होंने क्रिकेट को कुछ दिया है? नहीं. कई मौकों पर उन्होंने गेंद से भी कमाल दिखाया है. अपनी टीम को जीत दिलाई है. ऐसा ही एक मैच आज याद करेंगे.
साल 1998. अप्रैल फूल का दिन. बुद्धू बनने की बारी ऑस्ट्रेलिया की थी. मैच जीतते-जीतते हार जो गई थी. निश्चित जीत के बीच में सचिन तेंडुलकर आ गए थे. इस बार बॉल के साथ. कोच्ची में हुआ था ये मैच. कप्तान अज़हर ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया. फ्लैट पिच पर ये फैसला सही ही साबित हुआ. सचिन के सिर्फ आठ रन बनाकर आउट होने के बावजूद, टीम इंडिया ने अच्छी बैटिंग की.
अज़हर और हृषिकेश कानिटकर ने हाफ सेंचुरी मारी. अजय जडेजा ने शतक ठोक दिया. 50 ओवर में इंडिया ने स्कोर बोर्ड पर 309 रन टांग दिए. उस ज़माने में ये एक बढ़िया स्कोर था. 300 के पार का कोई भी स्कोर आपके जीतने के चांस को बहुत बढ़ा देता था. इंडिया के समर्थक शायद ये मान भी बैठे थे कि मैच कब्ज़े में आ गया है. लेकिन सामने ऑस्ट्रेलिया थी, जिसे हल्के में लेना मूर्खता थी.
अजय जडेजा.
ये वो दौर था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम में एक से बढ़कर एक शानदार खिलाड़ी हुआ करते थे. वॉ बंधु स्टीव और मार्क, गिलख्रिस्ट, पोंटिंग, बेवन, लेहमन, मार्टिन, मूडी. इतना मज़बूत बैटिंग लाइनअप जिस टीम का हो, वो कुछ भी कर सकती है. इसीलिए 310 का टार्गेट ऑस्ट्रेलिया के लिए असंभव तो कभी नहीं था. हुआ भी कुछ ऐसा ही.
मार्क वॉ और गिलख्रिस्ट ने ओपनिंग पार्टनरशिप ही सौ से ज़्यादा रनों की कर दी. वो भी सिर्फ 11.2 ओवर में. इस आतिशी शुरुआत के बाद मैच काफी आसान हो गया था ऑस्ट्रेलिया के लिए. मैच में एक वक़्त ऐसा आया, जब कोई भी पैसे ऑस्ट्रेलिया पर ही लगाता. ऑस्ट्रेलिया को 105 गेंदों में 107 रन चाहिए थे. और सात विकेट हाथ में थे. क्रीज़ पर भरोसेमंद स्टीव वॉ थे. फिर शुरू हुआ तेंडल्या का मैजिक.
एडम गिलख्रिस्ट उस दिन फॉर्म में थे.
बैटिंग में फेल रहे सचिन ने उस दिन बॉलिंग से भरपाई करने की ठानी थी. अपने पहले शिकार के तौर पर उन्होंने स्टीव वॉ को ही चुना. खुद की ही गेंदबाज़ी पर उनका कैच ले लिया. उसके बाद फिर वो न रुके. अपनी ऑफ ब्रेक बॉलिंग के जाल में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को फांस लिया. वॉ के बाद बेवन, लेहमन, मार्टिन और मूडी के विकेट्स लिए. जब मैच ख़त्म हुआ तो सचिन का बॉलिंग कार्ड था: 10 ओवर एक मेडन 32 रन पांच विकेट. 10-1-32-5. ये उनका बेस्ट बॉलिंग फिगर भी है.
ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 268 पर ढेर हो गई. अभी 25 गेंदें बाकी थीं और 41 रन कम पड़ गए थे. सचिन की बॉलिंग ने मैच उधर से इधर कर दिया था. सचिन ही मैन ऑफ़ दी मैच रहे. ये उन चुनिंदा मौकों में से एक था जब सचिन को बैटिंग के लिए नहीं, बॉलिंग के लिए मैन ऑफ़ दी मैच मिला था.
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