परागपुर-गरली में ऋषि कपूर
सादगी और इंसानियत की मिसाल ऋषि कपूर उर्फ चिंटू का हिमाचल से भी गहरा नाता रहा था। उन्होंने यहां दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग की। चिंटूजी फिल्म की शूटिंग के लिए वे 30 दिन धरोहर गांव परागपुर-गरली में रहे। वे रोजाना कुर्ता पायजामा पहन सुबह की सैर में निकल जाया करते थे। कई दिनों तक तो लोग उन्हें पहचान ही नहीं पाए थे।
एक दिन वे दो कुर्सियों की जगह वाली छोटी सी दुकान में पहुंचे गए। एक कुर्सी पर बैठे और बार्बर से बोले, मैं ऋषि कपूर, चलो काटो मेरे बाल। वे अकेले ही दुकान में पहुंचे थे। थोड़ी देर तक दुकानदार हक्का-बक्का रह गया। बाल कटवाने के बाद ऋषि कपूर ने पैसे पूछे तो 15 रुपये बताने पर दंग रह गए। जो नोट जेब से निकला उसे देकर चले गए। यह वाक्या वर्ष 2006 का है।
तत्कालीन पंचायत प्रधान रूपेंद्र कुमार डैनी ने बताया कि शूटिंग के दौरान वे अक्सर उनके साथ रहते थे। उनका स्वभाव सादा और मस्ती भरा रहता था। वे साथ बैठकर खाना खाते थे। कभी किसी को यह एहसास नहीं होने देते थे कि वे इतने बड़े अभिनेता हैं। जब दिल किया किसी की भी थाली से खाना उठाकर खा लेते थे।
शूटिंग पर जाते समय जहां अच्छी वादियां दिखे गाड़ी रुकवा फोटो खिंचवाना शुरू कर देते थे। कई बार खुद गाड़ी ड्राइव कर चले जाते थे। शूटिंग पूरी होने पर जाते समय हर किसी से मिले और कहा कि हिमाचल के लोग बहुत अच्छे स्वभाव के हैं, हमेशा याद रहेंगे।
फिल्म खत्म होने के अंत में परागपुर गांव और यहां के सहयोगी के नाम लिखकर स्पेशल थैंक्स किया था। ऋषि कपूर के जाने से धरोहर गांव के लोग ही नहीं पूरा प्रदेश गमगीन है।
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