अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रंप का दिल जीतने के बाद जानिए क्या बोली बिहार के दरभंगा की ज्याेति
अपने हौसले और हिम्मत से चर्चा में आयी दरभंगा की बेटी ज्योति अब शिक्षा और साइकिलिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती है। फिलहाल उसकी इच्छा दरभंगा में ही पढ़ाई करने की है। साथ ही प्रैक्टिस करने के लिए एक अच्छी साइकिल चाहती है। इवांका ट्रंप की ओर से तारीफ किये जाने से उत्साहित ज्योति ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में कहा कि अभी हमें सबसे अधिक आर्थिक मदद की जरूरत है। उसने कहा कि मीडिया में मेरा नाम आने के बाद रोज घर पर कई लोग मिलने आते हैं। कुछ लोगों ने आर्थिक मदद की भी है। कुछ ने मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन हमें अभी तक उस प्रकार की मदद नहीं मिली है जिससे हम खेल या पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
जिला मुख्यालय दरभंगा से 30 किलोमीटर दूर है सिरहुल्ली गांव। सिंहवाड़ा प्रखंड की टेकटार पंचायत के इस गांव की आबादी करीब चार हजार है। इसी गांव में अपने बीमार पिता को गुरुग्राम से साइकिल पर बिठाकर घर पहुंचाने वाली ज्योति कुमारी का घर है। पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 1200 किलोमीटर की यात्रा करने वाली ज्योति 10 बाई 12 के एक कमरे में अपने पूरे परिवार के साथ रहती है। उसके परिवार में कुल सात लोग हैं।
ज्योति पांच भाई-बहन है। बहनों में ज्योति दूसरे नंबर पर है। उससे छोटे दो भाई हैं। घर इंदिरा आवास का है। पिता हरियाणा के गुरुग्राम में ई रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। वहां दुर्घटना के शिकार होने के बाद वे भी फिलहाल काम करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में उन्हें घर चलाने की चिंता भी सता रही है। मालूम हो कि ज्योति को साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से दिल्ली आने का न्योता मिला है। शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पुत्री व उनकी सलाहकार इवांका ट्रंप की ओर से ट्विटर पर ज्योति की तारीफ किये जाने से वह काफी खुश है। उसने कहा कि इससे मेरा हौसला और बढ़ा है। मैं आगे भी कुछ ऐसा करना चाहती हूं जिससे मेरे परिवार और गांव का नाम रोशन हो।
मेरे लिए तो बेटी की इच्छा ही सर्वोपरि है : मोहन
ज्योति के पिता मोहन पासवान ने कहा कि मेरे लिए तो ज्योति की इच्छा ही सर्वोपरि है। वह जिस क्षेत्र में जाना चाहेगी, मैं हरसंभव उसकी मदद करूंगा। इवांका ट्रंप के ट्वीट की चर्चा करने पर उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी बेटी इस तरह का कारनामा कर दिखाएगी। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। मालूम हो कि गुरुग्राम से आने के बाद मोहन अभी गांव के ही क्वारंटाइन सेंटर पर रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां सभी सुविधाएं मिल रही हैं। यह पूछने पर कि अगर उन्हें कहीं से आर्थिक मदद मिलेगी तो वे क्या करेंगे, उन्होंने कहा कि सबसे पहले गांव में जमीन लेकर अच्छा घर बनाएंगे। उसके बाद बच्चों की अच्छी पढ़ाई-लिखाई के बारे में सोचेंगे।
मेरा तो घर भी अपने नाम नहीं है : फूलो
ज्योति की मां फूलो देवी ने कहा कि अभी हम लोग जिस कमरे में रह रहे हैं वह मेरे ससुर के नाम से है। पीने के पानी की दिक्कत है। हालांकि आंगन में नल-जल योजना की पाइप लगी है लेकिन पानी आने का कोई निर्धारित समय नहीं है। पैसा रहता तो एक चापाकल लगवा लेती। ज्योति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह जैसा चाहेगी, हम लोग उसकी मदद करेंगे। हालांकि ज्योति पढ़ाई पर अधिक जोर दे रही है। लेकिन बेहतर शिक्षा के लिए भी तो धन की जरूरत होती है। इसका हमारे पास अभाव है।
गर्व का अनुभव कर रहे हैं ग्रामीण
टेकटार की मुखिया रौशन खातून, सिरहुल्ली की वार्ड मेंबर प्रीति देवी, उनके पति नागेंद्र पासवान, ग्रामीण दिलीप पासवान, रोहित पासवान, मिथिलेश यादव, अशोक सहनी आदि ज्योति के कारनामे से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ज्योति के कारण हमारे गांव का नाम अमेरिका तक पहुंच गया। हम ज्योति के जज्बे को सलाम करते हैं। मुखिया की ओर से ज्योति को उसके कारनामे के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।
ज्योति के गांव में पहुंची शिक्षा विभाग की टीम
अपनी संघर्षपूर्ण कहानी से चर्चा में आयी दरभंगा की बेटी ज्योति के गांव टेकरार पंचायत के सिरहुल्ली शनिवार को डीईओ डॉ. महेश प्रसाद सिंह अपनी टीम के साथ पहुंचे। जयोति को उसके घर से सटे पिंडारुच हाईस्कूल में बुलाया गया। डीईओ ने कहा कि ज्योति ने नौंवी कक्षा में नामांकन के लिए आवेदन दिया था। 21 मई को ही सका नामांकन कर लिया गया था। आज उसे पोशाक व किताबों का सेट, जूता आदि दिया गया है। इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से उसे नयी साइकिल भी दी गयी है। डीईओ ने कहा कि आगे भी शिक्षा विभाग की ओर से जो भी संभव होगा, नियमानुसार ज्योति की मदद की जाएगी। डीईओ के साथ डीपीओ संजय देव कन्हैया, सुनील कुमार, विजय चंद्र भगत, प्रधान लिपिक नर्मदेश्वर पाठक व मंटुन चौधरी थे।
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