21 जून को साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है जिसमें मामूली सी रोशनी दिखेगी। यह सूर्य ग्रहण दुनिया भर में साल का सबसे बड़ा होगा। ज्योतिष के अनुसार कोरोना महामारी 2019 के आखिरी सूर्य ग्रहण से शुरू हुई थी और इस साल के पहले सूर्य ग्रहण पर जाकर समाप्त होगी। साल का यह सबसे बड़ा और पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने जा रहा है। इस दौरान सूर्य एक चमकीले छल्ले जैसा नजर आएगा।
इस ग्रहण का नजारा दुनिया के अन्य देशों समेत भारत के लोग भी देख पाएंगे। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा की छाया सूर्य के 99 फीसदी भाग को ढक लेगी। बताया जा रहा है कि हर 18 साल बाद इस तरह का सूर्य ग्रहण होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को होती है।
चंद्रमा सूर्य के जब कुछ हिस्से को ही ढकता है तो इसे खंडग्रास ग्रहण कहते हैं। वहीं चांद सूर्य को जब पूरी तरह से ढक लेता है तो इसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं। इस बार भी देश के कुछ स्थानों पर यह खंडग्रास के रूप में नजर आएगा। कम ही स्थानों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। माना जा रहा है कि भारत में देहरादून, सिरसा और टिहरी के अलावा कुछ ही शहरों में यह वलयाकार रूप में दिखेगा। वहीं दिल्ली, चंड़ीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, बंगलुरु आदि शहरों में यह आंशिक रूप में दिखेगा।
21 जून को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से होगी और इसकी समाप्ति 2 बजकर 4 मिनट पर होगी। ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। कुल 3 घंटे 33 मिनट के लिए ग्रहण लगेगा। इसका मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा। सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस वजह से यह 20 जून की रात 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और ग्रहण की समाप्ति के साथ सूतक खत्म होगा।
ज्योतिष के विशेषज्ञों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण से ग्रह नक्षत्रों में होने वाले बदलावों से कोरोना महामारी की अंत होना शुरू हो जाएगा। इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को होने की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्य अनाज के उत्पादन में कमी आ सकती है। वहीं गाय के दूध का उत्पादन भी घट सकता है। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच भी तनाव और बहस बढ़ सकती है। वहीं व्यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्छा और लाभ देने वाला माना जा रहा है।
सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग प्रकार की मान्यताएं रहती हैं। ऐसे में लोग घर पर रहना पसंद करते हैं और कुछ भी खाने से बचते हैं। तुलसी के पत्तों को जल में और दूध, दही व घी में डालकर रखा जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। ग्रहण के दौरान पूजापाठ की मनाही होती है और मूर्तियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद लोग स्नान भी करते हैं। सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।
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