मिस्र में एक व्यक्ति ने कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाने के नाम पर अपनी तीन बेटियों का खतना (Female genital mutilation) करा दिया. लड़कियों के पिता और गैरकानूनी सर्जरी करने के आरोप में डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा.
ये तीनों लड़कियां नाबालिग थीं और इन्हें बताया गया था कि डॉक्टर उन्हें कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाने आ रहा है. लेकिन डॉक्टर ने उन्हें बेहोश करके उनका ऑपरेशन कर दिया.
मिस्र में खतना गैरकानूनी है. इन लड़कियों के माता-पिता का तलाक हो चुका है. लड़कियों ने जब खतना के बारे में अपनी मां को बताया तो उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'सरकारी अभियोजन ने एक डॉक्टर और तीन लड़कियों के पिता पर तत्काल आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.' डॉक्टर पर अपराध में व्यक्ति की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
जांचकर्ताओं का कहना है कि डॉक्टर ने 18 साल से कम उम्र की इन लड़कियों को बेहोश करने की दवा दी. होश में आने पर लड़कियों ने पाया कि उनके पैर बंधे हुए थे और उन्हें जननांग में दर्द महसूस हो रहा था.
खतना करने वाले डॉक्टर को 7 साल तक की जेल हो सकती है. मिस्र ने 2008 में FGM पर प्रतिबंध लगा दिया था और 2016 में इसे आपराधिक कृत्य घोषित कर दिया था लेकिन अभी भी यह मुस्लिम-बहुल देशों में कई जगहों पर होता है.
हालांकि इस बारे में अभी तक कानून के तहत किसी पर भी सफलतापूर्वक मुकदमा नहीं चलाया जा सका है. महिला अधिकार समूहों का कहना है कि यहां प्रतिबंधों को अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया है.
महिला अधिकारों समूहों ने इस अपराध के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करने पर लड़कियों की मां की तारीफ की. उन्होंने कहा कि लोगों में FGM से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ रही है.
काहिरा सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड लॉ के प्रमुख एंटेसर अल-सईद ने रॉयटर्स को बताया, 'ये उत्साहजनक है कि अधिकारियों ने महिला के खतना के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और लड़कियां और माताएं इस प्रक्रिया के खतरों के बारे में जागरुक हो रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, यूनिसेफ के 2016 के एक सर्वेक्षण के अनुसार मिस्र की 87 फीसदी महिलाएं और 15-49 साल की लड़कियां FGM के प्रक्रिया से गुजरी थीं.
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