गलवान वैली में दोनों देश की सीमाओं के बीच हो चुकी है हिंसक झड़प
जून में चीनी बेस के पास कैंप और वाहन देखे गए हैं
चीन की ओर से ये बेस 2016 से पहले ही बनाए गए
पूर्वी लद्दाख के कुछ नए हिस्सों में चीन की ओर से लामबंदी की जा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग सेक्टरों में नया मोर्चा खोल सकती है.
इंडिया टुडे के सूत्रों का कहना है कि आंकड़ों से इस बात की पुष्टि हुई है कि पूर्वी दौलत बेग ओल्डी में चीनी लामबंदी की जा रही है. जून महीने में चीनी बेस के पास कैंप और वाहन देखे गए हैं. चीन की ओर से ये बेस 2016 से पहले ही बनाए गए थे, लेकिन इस महीने सैटेलाइट तस्वीरों पता चला है कि यहां पर नए शिविरों और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए गए हैं. जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी इसकी पुष्टि हो चुकी है.
भारत ने मई के अंत में ही भांप लिया था कि चीन डेपसांग में लामबंदी कर सकता है और तभी से इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी पुख्ता कर ली थी. डेपसांग वह इलाका है जहां पर चीन की सेना ने 2013 में घुसपैठ की थी.
उधर, गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद विभिन्न स्तरों पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है. सैन्य स्तर पर वार्ता के बाद आज भारत-चीन के बीच राजनयिक स्तर की बातचीत होगी. भारत और चीन के बीच आज संयुक्त सचिव बातचीत करेंगे. भारत की तरफ से संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव होंगे तो चीन की तरफ से डीजी सीमा विभाग बातचीत में शामिल होंगे.
इससे पहले दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. इस बातचीत में भारत ने साफ कह दिया है कि हालात तभी सुधरेंगे जब चीन वापस 5 मई वाली स्थिति पर लौटेगा. इससे पहले 22 जून को गलवान घाटी के मोल्डो में दोनों तरफ के कोर कमांडरों की 11 घंटे तक बैठक हुई थी.
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