लॉकडाउन में गई नौकरी तो साइकिल का पंचर लगाने को मजबूर हुआ ये साइंस टीचर, कही ये बात

जहां केंद्र सरकार गरीब लोग के लिए मनरेगा योजना को बढ़ावा दे रही है और प्रधानमंत्री मजदूरों के लिए नौकरियों के नए अवसर खोल रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर लोगों की नौकरियां जा रही हैं। हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के विजयनगर स्थित बाबू कॉलोनी के देवेश कुमार की, जो दिल्ली के सरकारी स्कूल मैं नेचुरल साइंस के गेस्ट टीचर थे। लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के बाद वो बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस दे रहे थे, लेकिन मई में उनको स्कूल ने नोटिस देकर निकाल दिया।

teacher forced to put puncture after lost his job during lockdown


किराए पर दुकान लेकर पंचर बनाने का काम शुरू किया

देवेश कुमार स्कूल में 6 से 10वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाया करते थे। नौकरी छूटने के बाद उन्होंने अपने घर के पास एक दुकान किराए पर ली, जिसमें उन्होंने पंचर और साइकिल रिपेयर का काम शुरू कर दिया। देवेश ने बताया कि स्कूल ने उनको 8 मई को एक नोटिस दिया, जिसमें उनको निकाल दिया गया था। स्कूल ने 2 महीने की उनकी सैलरी तक भी नहीं दी, घर में तीन लोग हैं, जो उन पर निर्भर हैं। देवेश कुमार ने बताया कि सैलरी ना मिलने के कारण उन्होंने यह काम शरू किया है, क्योंकि घर का खर्चा भी जरूरी है और बच्चों की स्कूल की फीस भी देना है।

सरकार से उम्मीद के सवाल पर क्या बोले देवेश?

2 महीने से उनके बच्चे की फीस जमा नहीं हुई है और घर का खर्चा भी चलाना मुश्किल हो गया था। माता-पिता गांव में रहते हैं, उनका भी खर्चा देना होता है। इसी के लिए उन्होंने साइकिल पंचर की दुकान खोली जिससे कम से कम घर का खर्चा और बच्चों की स्कूल की फीस जमा की जा सके। देवेश का कहना है कि सरकार से बस यही उम्मीद है कि जिस तरीके से बड़े उद्योगों को इस दौरान मदद दी गई है, हम जैसे छोटे गरीब बेसहारा लोगों को भी सरकार कुछ मदद दे ताकि हम अपने घर और अपने बच्चों का पेट पाल सकें।

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