धोनी के चेहरे पर मायूसी देख मैंने सोच लिया था भले ही मर जाऊं लेकिन यह मैच जीतकर लौटूंगा: सुरेश रैना

भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2011 में श्रीलंका को हराकर फाइनल को अपने नाम किया था। इस फाइनल में जीत के साथ दूसरी बार विश्व कप जीत और इससे पहले सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मात देना हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के दिलों दिमाग में आज भी ताजा है।


2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत में सुरेश रैना का रहा था खास योगदान


वैसे ये यादें ताजा होना और दिल में रखना भी जरूरी है क्योंकि ये जीत भारतीय क्रिकेट इतिहास के खास लम्हों में से एक है। लेकिन विश्व कप में सेमीफाइनल का सफर भारत ने क्वार्टर फाइनल में  मजबूत टीम को हराकर दिया था।




भारत का क्वार्टर फाइनल मैच उससे पहले लगतार तीन बार विश्व कप पर कब्जा करने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम से था जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मात दी और इस जीत में भारत के लिए मध्यक्रम के बल्लेबाज सुरेश रैना का भी बड़ा योगदान रहा।


सुरेश रैना धोनी की मायूसी देखकर हुए प्रेरित किया अच्छा प्रदर्शन


ने इस मैच में भारत को युवराज सिंह के साथ मिलकर शानदार जीत दिलायी थी। जब भारत को जीत के लिए 75 गेंदों में 74 रनों की जरूरत थी तब रैना मैदान में बल्लेबाजी के लिए गए और उन्होंने 28 गेंद में शानदार 36 रन की मैच विनिंग नॉक खेली।




इस पारी के लिए सुरेश रैना को धोनी के मायूस चेहरे ने प्रेरित किया। खुद सुरेश रैना ने बताया कि जब धोनी आउट होकर पैवेलियन लौट रहे थे तब उनका चेहरा काफी उतर गया था लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि आज मौका है और इसका फायदा उठाना है।


मौके का उठाना है फायदा ये ठानकर उतरा था मैदान में


सुरेश रैना ने के साथ बात करते हुए इस मैच को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। सुरेश रैना ने कहा कि “ड्रेसिंग रूम में मेरे बगल में सचिन पाजी और वीरेन्द्र सहवाग थे। सचिन पाजी ने मुझे कहा कि जा आज तेरा दिन है तू मैच जीताकर आएगा। फिर मैंने कहा मैं इसे छोड़ूंगा नहीं। यूवी पा खेल रहे थे और धोनी भाई आउट होकर आ रहे थे। उनके चेहरे पर मायूसी थी। तब मैंने ठाना की आज मुझे चांस मिला है मुझे प्रदर्शन करना है भले ही मैं मर ही क्यों ना जाऊं।”




“जब मैं बल्लेबाजी करने के लिए गया तो गेंद का रंग बदल गया था। ऑस्ट्रेलिया ने ऑफ स्पिनर को हटा दिया था। ऑफ स्पिनर ही हमें आउट कर सकता था। मैंने ब्रेट ली को छक्का मारा तो लगा कि मैंने अपने आप से कहा अब तो मैच जीतना ही है।”


फाइनल में मैदान में जी जान से खेले सभी खिलाड़ी


इसके बाद आगे सुरेश रैना ने फाइनल मैच को लेकर बात की और कहा कि “टॉस के बारे में सचिन पाजी ने पहले ही कह दिया था कि कुछ भी आए मैच जीतना ही है। इसके बाद एक अलग ही खामोशी थी। महेला जयवर्धने ने शतक लगाया। वीरू पाजी ने स्लिप में  और युवी पा ने पॉइंट पर कैच किया मैं और विराट कवर पर थे लगातार डाइव लगा रहे थे।”




“श्रीसंत ने ज्यादा गेंदबाजी कर ली तो उसे क्रेंप्स आ गए। सब मैदान पर गिरने लगे थे लेकिन स्टेडियम से ऐसा सपोर्ट मिला कि सबमेें जान आ गई। वीरू भाई बेहतर खेलने के बाद आउट हुए। सचिन पाजी ने स्ट्रेट ड्राइव खेले और आउट हो गए। फिर गौतम और विराट ने पारी को संभाला। विराट को आउट होने के बाद धोनी ने मुरली सर(मुरलीधरन) को छक्का लगाया। तो मुझे लगा कि गेम ऑन है। धोनी का युवी से ऊपर आना मास्टर स्ट्रोक था।”


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