नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट में जो योगदान बताैर विकेटकीपर व कप्तान के महेंद्र सिंह धोनी ने दिया है, वो कभी ना भूल पाने के लायक है। धोनी ने टीम को साल 2007 में पहली बार टी20 विश्व का खिताब दिलाया था। फिर 2012 में वनडे फाॅर्मेट का आईसीसी विश्व कप तो 2013 में चैंपियंस ट्राॅफा दिलाई। धोनी दुनिया के इकलाैते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के तीनों बड़े खिताब टीम को दिलाए हों। हालांकि भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों तक ले जाने वाले धोनी कैसे टीम में पहली बार चुने गए, इसके बारे में उनपर बनी फिल्म में जो बताया गया था वो अब गलत साबित होता है।
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हुआ बड़ा खुलासा
यह हर कोई जानने को बेताब रहता है कि आखिर टीम में छाने वाला खिलाड़ी कैसे यहां तक पहुंच पाया। धोनी पर बनी फिल्म 'द अनटोल्ड स्टोरी महेंद्र सिंह धोनी' में दिखाया गया कि धोनी रेलवे में नाैकरी करते समय काफी संघर्ष करते थे और फिर 2003 में साैरव गांगुली का साथ मिलने के कारण वह टीम में आ पाते। लेकिन अब भारत के पूर्व विकेटकीपर और 1983 के वर्ल्ड चैंपियन टीम के सदस्य सैयद किरमानी ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे धोनी का टीम में सिलेक्शन हुआ। किरमानी ने कह जब वो और ईस्ट जोन के तत्कालीन सेलेक्टर प्रणब रॉय एक रणजी मैच देख रहे थे तब दोनों के बीच धोनी को लेकर चर्चा हुई।
ऐसे हुआ था धोनी का सिलेक्शन
किरमानी ने एक बेवसाइट को दिए इंटरव्यू के दाैरान कहा, ''मैंने इसका खुलासा पहले कभी नहीं किया कि कैसे धोनी टीम में आए। मैं और ईस्ट जोन के को सिलेक्स्टर प्रणब रॉय रणजी ट्रॉफी का मैच देख रहे थे। बहुत समय हो गया इसलिए और मैं ठीक ठीक नहीं कह सकता कि वो कौन सा मैच था। लेकिन प्रणब रॉय इसके गवाह हैं।'' प्रणब ने किरमानी से कहा कि झारखंड का एक विकेटकीपर-बल्लेबाज है जिसका सिलेक्शन किया जाना चाहिए। इसके बाद किरमानी ने प्रणब से पूछा किया वो इस मैच में विकेटकीपिंग कर रहा तो प्रणब ने जवाब दिया कि फिलहाल वो इस वक्त स्टंप के पीछे नहीं बल्कि फाइन लेग पर मौजूद हैं। इसके बाद किरमानी ने धोनी की ओर ध्यान दिया। उनके पुराने रिकाॅर्ड देखे तो पाया कि वो बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद धोनी को ईस्ट जोन के लिए चुन लिया गया।
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आते ही छा गए थे धोनी
2004 में भारतीय टीम को एक विकेटकीपर की तलाश थी। नयन मोंगिया और सबा करीम के बाद सेलेक्टर्स ने एक के बाद एक प्रयोग किए लेकिन सभी नाकाम रहे। दिनेश कार्तिक को माैका मिला। पार्थिव पटेल को भी आजमाया गया, लेकिन जब धोनी ने अपना खेल दिखाया तो सब देखते ही रह गए। धोनी ने दिसंबर 2005 में डेब्यू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2007 में उन्होंने टीम की कप्तानी भी संभाल ली। ऐसे में कार्तिक और पार्थिव का पत्ता कट गया।
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