महा पुराणों की सूची में 15 वें पुराण के परिगणित कूर्म पुराण का विशेष महत्व है इस पुराण के अंदर 17000 श्लोक शामिल है सर्वप्रथम भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण करके इस पुराण को राजा इंद्रद्युम्न को सुनाया था पुनः भगवान कूर्म ने उसी कथानक को समुंद्र मंथन के समय इंद्रादि देवताओं तथा नारद आदि ऋषि गणो से बताया था इस पुराने के अंदर हिंदू धर्म की कई प्रथाएं और रिवाजों के बारे में बताया गया है जो शुभ फल देने वाले माने गए हैं यदि इनका पालन व्यक्ति करता है तो व्यक्ति के बुरे समय और समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में परिवर्तित हो जाता है।
कूर्म पुराण के 49वें अध्याय के 1 श्लोक में चार ऐसे नामों का उल्लेख किया गया है जिनका उच्चारण करने से शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है परंतु आपको इन नामों का उच्चारण करते समय सही दिशा का ध्यान रखना बहुत जरूरी बताया गया है अगर इन नामों को सही दिशा की ओर मुंह करके उच्चारण किया जाए तो व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जाग जाता है आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इसी विषय में जानकारी देने वाले हैं।
श्लोक:-
मानसोपरि माहेन्द्री प्राच्यां दिशि महापुरी।
दक्षिणेन यमस्याथ वरुणस्य तु पश्चिमे।।
इस श्लोक का अर्थ है:-
मानसाचल की पूर्व दिशा में भगवान इन्द्र की नगरी है रोज प्रातः उठते ही पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भगवान इंद्र देव का नाम लेना और उनकी स्तुति करना शुभ माना जाता है।
दक्षिण दिशा में भगवान यमराज का वास है ऐसे में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यमराज का नाम लेना और उनकी स्तुति करना अच्छा माना गया है।
पश्चिम दिशा में वरुण देव का वास होता है रोज प्रातः उठते ही पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके वरुण देव का नाम लेने से और उनकी स्तुति करने से शुभ माना जाता है।
उत्तर दिशा में चंद्रमा का वास है रोज प्रातः उठकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके चंद्रमा का नाम लेने से और इसकी स्थिति करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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