जानिए कैसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत, पढ़े इससे जुड़ी पौराणिक कथा


सोमवार, 3 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। रक्षाबंधन भाई-बहन का पवित्र त्योहार है। इस दिन बहन भाई की कलाई में राखी बांधती है और भाई बहन की रक्षा करने का वचन देता है। हिंदू पचांग के अनुसार सावन मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाने की शुरुआत कैसे हुई। आइए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथा...

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करवा रहे थे। उस वक्त भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। राजा तीन पग धरती देने के लिए तैयार हो गए। राजा के हां करते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में सबकुछ नाप लिया। बाद में भगवान विष्णु ने राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।


राजा ने पाताल लोक में रहना तो स्वीकार कर लिया, परंतु राजा ने भगवान विष्णु से एक वचन मांगा। भगवान विष्णु ने राजा से कहा जो भी वचन चाहिए मांग लो। तब राजा ने कहा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने तथास्तु कह दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

जब भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल में ही रहने लगे तो मां लक्ष्मी को विष्णु भगवान की चिंता होने लगी। मां लक्ष्मी ने उसी वक्त नारद जी को वहां भ्रमण करते हुए देखा। तब मां लक्ष्मी ने नारद जी से पूछा आपने भगवान विष्णु को कहीं देखा है। तब नारद जी ने मां लक्ष्मी को सारी बात बताई। सारी बात जानने के बाद मां लक्ष्मी ने नारद जी से विष्णु भगवान को राजा के पास से वापस लाने का उपाय पूछा। नारद जी ने मां लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और उनसे भगवान विष्णु को मांग लिजिए। इसके बाद मां लक्ष्मी भेष बदल कर पाताल लोक में पहुंच गईं।


पातल लोक पहुंचकर मां लक्ष्मी रोने लगी। राजा बलि ने मां लक्ष्मी को रोते हुए देखा तो उनसे रोने का कारण पूछा। तब मां लक्ष्मी ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वे रो रही हैं। मां के ये वचन सुनकर राजा बलि ने कहा कि आप मेरी धर्म बहन बन जाओ। इसके बाद मां लक्ष्मी ने राजा बलि से से विष्णु भगवान को मांग लिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।

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