वो कोबरा कमांडो जिसने गोलीबारी के बीच बचाई मासूम की जान



जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच एनकाउंटर चल रहा था. उसी दौरान एक तीन साल का बच्चा एनकाउंटर वाली जगह पर फंस गया जिसे सीआरपीएफ के एक जवान ने गोलीबारी के बीच अपनी जान दाव पर लगाकर बचाया. अब उस बच्चे को गोद में लिए जवान की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं आखिर कौन है वो सीआरपीएफ जवान जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना उस 3 साल के मासूम की जिंदगी बचाई.


दरअसल जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकियों ने घात लगाकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की पार्टी पर हमला कर दिया. सीआरपीएफ की टीम पर यह हमला मार्केट एरिया में किया गया था. सीआरपीएफ ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की और दोनों ओर से गोलीबारी होने लगी.


इसी दौरान बाजार में आतंकियों की गोली से एक बुजुर्ग की मौत हो गई जबकि बच्चा उनके शव के पास ही बैठा रहा. इस दौरान दोनों तरफ से फायरिंग जारी थी और सीआरपीएफ के जवान अपनी पोजिशन लिए हुए थे. बच्चे को गोलीबारी के बीच फंसा देखकर एक सीआरपीएफ जवान ने उसे अपनी ओर आने का इशारा किया. 


गोलीबारी के बीच सीआरपीएफ जवान ने बच्चे को बचा कर वहां से निकाला और सुरक्षित जगह ले गए. जिस जवान ने ये अदम्य साहस दिखाया उसका नाम पवन कुमार चौबे है. जो सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो हैं. ऐसी परिस्थियों से लड़ने के लिए जवानों को खास ट्रेनिंग दी जाती है. 


पवन कुमार चौबे साल 2016 से जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं और आतंकियों के खिलाफ ऐसे कई ऑपरेशन का हिस्सा रह चुके हैं. इन्होंने साल 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था और नक्सलियों के खिलाफ मुहिम में जुड़ने के बाद इन्हें खास तौर पर आतंकियों से लड़ने के लिए जम्मू-कश्मीर भेजा गया था.



पवन कुमार वाराणसी के रहने वाले हैं और सीआरपीएफ के 179वीं बटालियन में तैनात हैं. सीआरपीएफ की ये बटालियन जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ मुहिम में शामिल है.



इससे पहले पवन कुमार खासतौर पर नक्सलियों से लड़ने के लिए बनाई गई 203 कोबरा बटालियन में तैनात थे और कई नक्सली ऑपरेशन का हिस्सा थे.



सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में शानदार भूमिका निभाने के बाद पवन कुमार का जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेने के लिए तबादला कर दिया गया था. वो साल 2016 से ही सोपोर में तैनात हैं. 



जब पवन कुमार आतंकियों के खिलाफ अपनी पोजिशन लिए हुए थे उसी वक्त उन्होंने देखा कि एक बच्चा अपने दादा के शव के पास बैठा है. पवन गोलीबारी के बीच किसी तरह उसके करीब पहुंचे और बच्चे को वहां से निकाल कर सुरक्षित जगह पर ले गए.

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