बदल गये हैं चेक बाउंस के नियम, आप भी जानें यह जरूरी बात नहीं तो बढ़ सकती है परेशानी

चेक बाउंस को आपराधिक मामलों की कैटेगरी में रखने पर कारोबार से जुड़े लोग इस पर आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि चेक बाउंस होने की स्थिति में पहले क्रिमनल केस लगाया जाता था. जिसमें जुर्माने से लेकर कैद तक प्रावधान था लेकिन इस नियम में बदलाव होने के बाद धोखेधड़ी के चांस बढ़ जाएंगे. अभी भी सिविल कोर्ट में इससे जुड़े के 20 साल से ज्यादा समय तक पड़े हुए हैं. अगर यह कानून आता है तो लोगों में डर कम हो जाएगा और धोखे धड़ी कम होने की बजाय बढ़ जाएंगी.


करोबरियों का यह भी कहना है कि नियम बदलने से बैंक और एन बी एफ सी को बड़ा नुकसान पहुंचेगा. खास कर के आज भी छोटे और मझले कारोबारियों के बीच चेक की अहमियत ज्यादा है. इस कानून में बदलाव हो जाने से लोगों का कारोबार से भरोसा उठा जाएगा, मान लीजिए अगर किसी कारोबारी का चेक बाउंस हो जाता है तो वह क्या करेगा. क्या वह अपना कारोबार संभालेगा या 5 साल केस लड़ेगा. इस वजह से कारोबारी अपना ध्यान कारोबार में नहीं लगा पाएंगे.


वहीं एक सीनियर वकील का इस बारे में कहना है कि अगर आप चेक बाउंस को आपराधिक श्रेणी से हटाकर सिविल में कैटेगरी में लाएंगे तो इसे बोझ कम नहीं होगा. बल्कि इससे उलट और समस्याएं बढ़ जाएगी. चेक बाउंस होने के बाद जो डर लोगों में जेल जाने का रहता था वह खत्म हो जाएगा.


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