द्रौपदी के अलावा पांडवों की और कितनी पत्नियां थी?
महाभारत को भारत के इतिहास का एक अहम खंड मन जाता है। इस रहस्यमयी ग्रंथ में उलझे हुए रिश्तों की कहानियां है। महाभारत के बारे में हम सभी कुछ न कुछ जरूर जानते हैं लेकिन ये कथा सिर्फ कौरव व पांडवों के युद्ध तक ही सीमित नहीं है। महाभारत की कथा जितनी बड़ी है उतनी ही रोचक भी है। इस बात से तकरीबन हर कोई वाकिफ है कि महाभारत की पांचाली यानी द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी थी.
क्या आप जानते हैं कि इन पांडवों की द्रौपदी ही इकलौती पत्नी नहीं थी बल्कि द्रौपदी के अलावा भी इन पांचों पांडवों की कई पत्नियां थीं जिनके बारे बहुत कम लोग ही जानते हैं. महाभारत की गाथा के अनुसार ज्यादातर लोग बस यही जानते हैं कि द्रोपदी पांचों पांडवों की एकमात्र पत्नी थीं जबकि द्रौपदी के पुत्र और पांडवों के अन्य पुत्र और पत्नियों के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है.
जानिए द्रौपदी के पुत्र और पांडवों के अन्य पुत्र एवं पत्नियों के नाम।
युधिष्ठिर :
युधिष्ठिर की दूसरी पत्नी देविका थी। देविका से धौधेय नाम का पुत्र जन्मा।
अर्जुन :
द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन और पत्नियां थीं।
सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ।
भीम :
द्रौपदी के अलावा भीम की हिडिम्बा और बलन्धरा नामक दो और पत्नियां थीं।
हिडिम्बा से घटोत्कच और बलन्धरा से सर्वंग का जन्म हुआ।
नकुल :
द्रौपदी के अलावा नकुल की करेणुमती नामक पत्नी थीं।
करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ।
सहदेव :
सहदेव की दूसरी पत्नी का नाम विजया था जिससे इनका सुहोत्र नामक पुत्र मिला।
भले ही पांचों पांडवों ने द्रौपदी के अलावा दूसरी स्त्रियों से भी विवाह किए थे लेकिन द्रौपदी ही उनकी सबसे प्रिये पत्नी थी जिन्होंने एक-एक साल के अंतराल में पांचों पांडवों के एक-एक पुत्र को जन्म दिया था.
द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था, भीम से हुए पुत्र का नाम सुतसोम था, अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था, नकुल के पुत्र का नाम शतानीक था और सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन था.
गौरतलब है कि भले ही पांडवों ने दूसरी स्त्रियों से भी विवाह किए थे और उनसे उनके पुत्र भी हुए लेकिन आज भी द्रौपदी को ही पांचों पांडवों की पत्नी के रुप में जाना जाता है. उनकी दूसरी पत्नियों के बारे में अधिकांश लोग आज भी नहीं जानते हैं.
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