गुजरात के एक छोटे से कस्बे से निकले धीरूभाई अंबानी की विजनरी सोच का ही नतीजा है रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत ही नहीं दुनिया की प्रमुख कंपनियों में शुमार हो गई है. उनकी सफलता की कहानी देश-दुनिया के करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है. आज यानी 6 जुलाई को धीरूभाई अंबानी की पुण्यतिथि है, इस अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के कुछ दिचलस्प पहलू...
-उनका पूरा नाम है धीरजलाल हीराचंद अंबानी. धीरूभाई का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात जूनागढ़ शहर के पास के एक छोटे से कस्बे चोरवाड़ में एक मोढ़ (वैश्य) परिवार में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल टीचर थे.
-उन्होंने पास के गिरनार पहाड़ी पर आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया बेचकर सबसे पहले अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत की थी.
उन्होंने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की थी और यह साबित किया कि टॉप उद्यमी बनने के लिए बड़ी-बड़ी प्रबंधन की डिग्रियां लेना जरूरी नहीं है.
-सिर्फ 16 साल की उम्र में वह पहली बार 1955 में विदेश गए. वह अपने भाई रमणिकलाल के साथ काम करने यमन के शहर अदन चले गए.
-अदन में उन्होंने पहली नौकरी एक पेट्रोल पंप पर सहायक के रूप में की और उनकी तनख्वाह थी महज 300 रुपये महीना.
-कुछ समय बाद वे भारत लौट आए और गिरनार चोटी पर तीर्थयात्रियों को भजिया बेचना शुरू किया.
-इसके पांच साल के भीतर ही उन्होंने अपने एक कजन चंपकलाल दमानी के साथ 1960 में रिलायंस कॉमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की.
-उनका पहला ऑफिस मुंबई के मस्जिद बंदर इलाके में नरसीनाथन स्ट्रीट में 350 वर्गफुट के एक कमरे में था. इसमें दो मेज, 3 चेयर और एक टेलीफोन था.
-उन्होंने सिर्फ 50 हजार रुपये की पूंजी और दो सहायकों के साथ यह कारोबार शुरू किया था. आज सिर्फ मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार पूंजी 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है.
-उनकी कंपनी का नाम कई बार बदला. पहले इसका नाम रिलायंस कॉमर्शियल कॉरपोरेशन था जिसे बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड और अंतत: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया गया.
-धीरूभाई ने नायलॉन का आयात करना शुरू किया जिससे उन्हें करीब 300 फीसदी का मुनाफा होता था.
-1996 में रिलायंस भारत की ऐसी पहली निजी कंपनी बन गई जिसकी S&P, मूडीज जैसी इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने रेटिंग करनी शुरू की.
-उनके नेतृत्व में रिलायंस ऐसी पहली निजी कंपनी बन गई जिसकी सालाना महासभा (AGM) स्टेडियम में होती थी. 1986 की ऐसी ही एक एजीएम में 3.50 लाख लोग शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार करते हुए पेट्रोकेमिकल, टेलीकॉम, एनर्जी, पावर जैसे कई सेक्टर में कदम रखे.
-धीरूभाई को दो बार ब्रेनस्ट्रोक आया. पहली बार 1986 में और दूसरी बार 24 जून 2002 को. 6 जुलाई 2002 को उनका निधन हो गया.
-हिंदी फिल्म 'गुरु' धीरूभाई अंबानी के जीवन से ही प्रेरित है.
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