जीडी बख्शी 1971 से 2008 तक आर्मी में रहे. मेजर जनरल की रैंक तक पहुंचे, जो कि आर्मी की टॉप मोस्ट रैंक्स में से है. (फोटो- Social Media)
कुछ दिन पहले एक नेशनल लेवल के न्यूज चैनल पर लाइव डिबेट चल रही थी. मुद्दा था- देश की सीमाएं, गलवान, पीओके वगैरह. लाइव डिबेट गरम होती गई, होती गई और इस हद तक पहुंच गई कि एक पैनलिस्ट ने दूसरे को मां की गाली दे दी. लाइव डिबेट में. जिन्हें गाली दी गई, वो थे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रवक्ता दानिश रिजवान और जिन्होंने गाली दी, वो थे मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी.
जीडी बख्शी. पूरा नाम – गगनदीप बख्शी. इनको अच्छे से पहचानने-समझने के लिए ये कुछ वीडियो देखिए.
ये पहला मौका नहीं है, जब जीडी बख्शी ने नेशनल चैनल पर किसी आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया. पुलवामा हमले के बाद एक टीवी चैनल के शो में जीडी बख्शी गुस्सा गए थे. ये वीडियो देखिए. 14 मिनट 14 सेकंड पर ख़ास ध्यान दीजिएगा.
अब ये दूसरा वीडियो देखिए. इस साल जनवरी में भी जीडी बख्शी एक कॉन्क्लेव में आर्टिकल 35-ए पर बात कर रहे थे. यहां भी गुस्सा गए.
दोस्ती निभाते हुए फिर से बता देते हैं कि 11 मिनट 44 सेकंड पर ख़ास ध्यान देना है.
ये हैं गुस्सैल, अक्सर भाषा के साथ बेकाबू हो जाने वाले जीडी बख्शी.
कौन हैं जीडी बख्शी?
1950 में जबलपुर, मध्य प्रदेश में पैदा हुए. 1971 से 2008 तक आर्मी में रहे. मेजर जनरल की रैंक तक पहुंचे, जो कि आर्मी की टॉपमोस्ट रैंक्स में से है.
आर्मी, एयरफ़ोर्स और नेवी के अलग अलग इन्सिग्निया. ये भी रैंक के हिसाब से बदलते हैं. कंधों पर लगाए जाते हैं.
# मेजर जनरल (रिटायर्ड) बख्शी ने 1971 में चीन के ख़िलाफ हुई जंग में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया.
# 1985 और इसके आस-पास जब पंजाब में आतंकवाद की समस्या अपने चरम पर पहुंच गई थी, तब वहां भी एक्टिव थे.
# कारगिल युद्ध में भी तैनात थे.
# जीडी बख्शी को सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है.
# उन्होंने ‘बोस: एन इंडियन समुराई’ नाम की किताब भी लिखी है.
जीडी बख्शी के पापा भी जम्मू-कश्मीर स्टेट फोर्स (6 J&K रायफल्स) में चीफ एजुकेशन ऑफिसर थे. उनके भाई सेना में थे, जो शहीद हुए. हालांकि जीडी बख्शी के पिता नहीं चाहते थे कि वे सेना में आए. वे चाहते थे कि बेटा आईएएस या आईएफएस जॉइन करे.
जीडी बख्शी को गुस्सा क्यों आता है?
ये तो था वो सब, जो जीडी बख्शी ने सेना में रहते हुए देश के लिए किया. सेना से रिटायर होने के बाद पिछले काफी साल से मेजर जनरल बख्शी टीवी शोज़ के डिबेट के हिस्से बनते रहते हैं. नेशनल न्यूज चैनल्स पर दिखते हैं. अग्रेसिव तरीके से अपनी बातें रखते हैं. ऊपर हमने उनके बारे में जो कुछ बताया, ये वो फैक्टर हैं, जिनके चलते जीडी बख्शी की बातों को लोग क्रेडिबल मानते हैं. सुनते हैं, फिर तरीका जो भी हो.
‘द प्रिंट’ ने जीडी बख्शी पर एक आर्टिकल लिखा था. इसमें उन्होंने बिना नाम सार्वजनिक किए एक आर्मी पर्सन को कोट किया था. इनका जीडी बख्शी पर कहना था कि उनकी (बख्शी की) देशभक्ति पर, उन्होंने जो किया, उस पर कोई शक नहीं है. लेकिन बेशक जिस तरह से वो सार्वजनिक मंच पर अपनी बात रखते हैं, उसमें और ‘बैलेंस’ रखा जा सकता है.
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