IAS Success Story: घर-परिवार और दो साल के बच्चे की जिम्मेदारी के बीच पुष्पलता ने पायी UPSC परीक्षा में सफलता, जानिए कैसे



 हरियाणा की पुष्पलता ने साल 2017 में न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि 80वीं रैंक के साथ उन्होंने खुद को टॉपर्स की सूची में भी शामिल किया. सफल हो जाने के बाद लोगों को केवल सफलता दिखती है पर वहां तक पहुंचने के लिए जो संघर्ष व्यक्ति ने किया होता है, उसके विषय में कम ही लोग जानते हैं. पुष्पलता का ही उदाहरण लें तो उनके जीवन को पास से देखने पर पता चलता है कि उनके जैसे हालातों में सफलता पाना तो दूर पढ़ाई करना ही खासा मुश्किल है. लेकिन पुष्पलता ने इस कथन पर विश्वास करते हुए हमेशा तैयारी जारी रखी कि अगर कोई चीज दिल से चाहो तो सच में सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में मदद करने लग जाती है. एक साक्षात्कार में वे कहती हैं कि उन्होंने यह कथन फिल्म में सुना पर हमेशा इसे खुद को मोटिवेट करने का आधार बनाया. आज जानते हैं पुष्पलता के सफर के बारे में.

दोबारा पढ़ाई शुरू करना नहीं था आसान –

पुष्पलता का रुझान बचपन से ही पढ़ाई की ओर था लेकिन एक बार पढ़ाई छूटने और पांच साल का गैप हो जाने के बाद दोबारा शुरुआत करना आसान नहीं होता. रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव खुशबूरा में जन्मी पुष्पलता की शुरुआती पढ़ाई वही हुयीं. इसके बाद आगे की शिक्षा उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के घर में रहकर पूरी की. पुष्पलता ने बीएससी और मास्टर करने के पश्चात एमबीए भी किया और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने लगी. इसी बीच उनकी शादी हो गयी और एक बेटे के जन्म के साथ ही पुष्पलता आम गृहणी जैसा जीवन जीने लगी. इस दौरान वे बैंक में नौकरी भी कर रही थी. पुष्पलता को यह नौकरी खास भाती नहीं थी और वे सिविल सर्विसेस देने की योजना बना रही थी पर उन्हें शक था कि कैसे वे इस कठिन परीक्षा के लिए तैयारी कर पाएंगी. इस मौके पर उनके डॉक्टर पति ने उनका हौंसला बढ़ाया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. पुष्पलता अपने सफर के संघर्षों के बारे में बात करते हुए यह कहना नहीं भूलती कि इस सफलता में उनके पति और इनलॉज़ का बहुत सहयोग रहा वरना एक  परिवार की जिम्मेदारी और दो साल के बच्चे के साथ वे कभी सफलता हासिल नहीं कर पाती.

 

पुष्पलता की सलाह –

पुष्पलता कहती हैं कि उन जैसे कैंडिडेट्स या वे जो सुदूर स्थानों पर रहते हैं के लिए कोचिंग करना संभव नहीं होता. लेकिन इस बात से कतई परेशान नहीं होना चाहिए. सेल्फ स्टडी से भी बात बन सकती है. पुष्पलता आगे कहती हैं कि वैसे भी वर्तमान में इंटरनेट ने दूरियां खत्म कर दी हैं. परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी सभी रिर्सोस ऑनलाइन मिल जाते हैं. यहां प्री से लेकर मेन्स और साक्षात्कार तक सबकी तैयारी का मैटेरियल नेट पर पाया जा सकता है. इसके साथ ही वे मल्टीपल सोर्सेस न रखने की बात भी कहती हैं. वे कहती हैं अपनी किताबें सीमित रखें पर उन्हें बार-बार रिवाइज़ करें, यह ज्यादा जरूरी है. अपनी खुद की स्ट्रेटजी बनाएं क्योंकि सबकी वीकनेस और स्ट्रेन्थ अलग-अलग होती है. रोज के रोज गोल बनाएं और उन्हें पूरा करें. वे कहती हैं वे रोज के लिए तय करती थी कि आज इतने चैप्टर्स खत्म करने हैं और रात तक ऐसा कर लेती थी हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच उनका पढ़ाई का कोई शेड्यूल तय नहीं था. बस दिन के अंत तक सोचे हुए अंश पूरे करती थी. पुष्पलता की सुबह चार बजे होती थी और बच्चे के उठने के पहले वे दो से तीन घंटे पढ़ाई कर चुकी होती थी. ऐसे ही वे पूरे दिन से मौका निकालकर पढ़ती थी. खाना बनाने और बच्चा संभालने के टाइम को वे रिफ्रेशमेंट के तौर पर लेती थी और मानती थी कि पढ़ाई का ब्रेक मिल गया. इसमें उनके पति और परिवार के लोगों की भी अहम भूमिका रहती थी. कुल मिलाकर पुष्पलता ने जान लगा दी और अपने आईएएस बनने के सपने को साकार करके  ही दम लिया.

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