15 लाख की जॉब छोड़ बने थे IPS, लॉकडाउन में 'खाकी' से किया इमोशनल



युवा आईपीएस अफसर सुकीर्ति माधव मिश्र इन दिनों पुलिस महकमे में अपने अलग हुनर से पहचान पा चुके हैं. देश के कई आईपीएस सोशल मीडिया में उनका सपोर्ट कर रहे हैं. बचपन से पुलिस में आने का सपना देखने वाले सुकीर्ति ने 15 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़ी थी. आज जब  लॉकडाउन का माहौल है तो उनके शब्द लोगों की ताकत बन चुके हैं. आइए जानते हैं इस युवा आईपीएस अफसर के बारे में, अपने किस हुनर से वह लोगों के बीच  हिट हो रहे हैं.


मूल रूप से बिहार के जमुई जि‍ले के मलयपुर गांव के रहने वाले सुकीर्ति ने सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. घर में लोग उन्हें चंदन कहकर बुलाते हैं. उनके पिता कृष्ण कांत मिश्र जूनियर हाईस्कूल में टीचर और मां कविता मिश्र हाउसवाइफ हैं.



गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होने ग्रेजुएशन की पढ़ाई भुवनेश्वर यूनिवर्सिटी से पूरी की. साल 2010 में एमएनआईटी दुर्गापुर से MBA की डिग्री हासिल करके वह कोल इंडिया में मैनेजर पद की नौकरी करने चले गए.



पिता के कहने पर जॉब छोड़ बने आईपीएस

सुकीर्ति ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, जब तक मैं नौकरी कर रहा था, मेरे जेहन में सिविल सर्विसेज को लेकर कोई ख्वाहिश नहीं थी. कोल इंडिया में मैनेजर पद पर काम करते हुए मुझे संतोष था. जब पिता ने कहा कि उनका सपना है कि समाज की सेवा के लिए आईपीएस अफसर बनूं तब मैंने इस बारे में सोचा.



सुबह नौकरी और रात में करते थे पढ़ाई

जब नौकरी के करीब 2 साल हो चुके थे तो पहले तो उन्होंने सिविल सर्विसेस के बारे में जानना शुरू किया और फिर नौकरी करते-करते ही तैयारी शुरू कर दी.



दो साल की कड़ी तैयारी के बाद वर्ष 2014 में सुकीर्ति ने सिविल सर्विसेज का पहला एग्जाम दिया और पहले ही अटेंप्ट में उनका सेलेक्शन हो गया. लेकिन तब उन्हें आईआरएस कैडर मिला था, जिसे छोड़कर उन्होंने फिर तैयारी की और दूसरे अटेंप्ट साल 2015-16 में आईपीएस कैडर मिल गया.



कैसे आए चर्चा में

वर्तमान में वाराणसी में एसपी सुरक्षा की ड्यूटी पर तैनात आईपीएस सुकीर्ति‍ माधव ने अपने कविता लेखन के हुनर से देशभर में खाकी वर्दी वालों को इमोशनल कर दिया है. उनकी लिखी कविता 'मैं खाकी हूं' पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बन गई है. ट्विवटर पर अब तक कई आईपीएस अफसर इसे शेयर कर चुके हैं. साथ ही आम लोगों की बीच यह कविता काफी पॉपुलर हो चुकी है.



जम्‍मू कश्‍मीर के पुलि‍स अधि‍कारी इम्‍ति‍याज हुसैन ने ये कवि‍ता अपने ट्वि‍टर हैंडल पर शेयर की तो साढ़े सात हजार से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया. उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस कमिश्नर विश्वास नांगरे पाटिल की आवाज में इस कविता को शेयर किया है.


Imtiyaz Hussain

@hussain_imtiyaz

mai khaki houn..
मैं ख़ाकी हूँ ।
Thank you Vishwas Nangare Patil sir for this.





ट्वि‍टर पर अपनी कविता के बारे में सुकीर्ति ने लिखा कि मेरी ये कविता हर उस व्यक्त‍ि को समर्पित है जो ऐसे कठ‍िन समय में देश के लिए कुछ कर पा रहा है. यहां पढ़ें उनकी पूरी कविता.


Sukirti Madhav Mishra@SukirtiMadhav

My poem, "मैं खाकी हूँ"..।
Dedicated to every men and women out there who is doing their bit to protect this country and the people, in this time of distress. We shall win this fight.!@Uppolice @IPS_Association




बता दें कि सुकीर्ति माधव ने मेरठ में अपनी पहली पोस्ट‍िंग के दौरान यह कविता लिखी थी. लेकिन लॉकडाउन में उनकी ये कविता काफी पसंद की जा रही है. खासकर पुलिस महकमे में इसे खूब शेयर किया जा रहा है.

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