भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था और इसके बाद से ही महेंद्र सिंह धोनी के फैंस अलग अलग तरीके से उन्हें ट्रिब्यूट दे रहे थे. लेकिन अगर आज महेंद्र सिंह धोनी इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं तो कहीं ना कहीं इसके पीछे सौरव गांगुली का हाथ है क्योंकि साल 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में ही महेंद्र सिंह धोनी ने अपना डेब्यू किया था.
महेंद्र सिंह धोनी अपने डेब्यू के शुरुआती मैचों में फ्लॉप साबित हुए थे इसके बावजूद सौरव गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी पर भरोसा बनाए रखा और उन्हें अलग-अलग पोजीशन पर बल्लेबाजी करने का मौका दिया। 2005 में हुए विशाखापट्टनम मैच में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेज दिया। धोनी भी अपने कप्तान के भरोसे पर खरे उतरे और 148 रनों की मैच-जिताऊ पारी खेल डाली। गांगुली ने इतने सालों बाद बताया है कि उन्होंने आखिर क्यों धोनी को बैटिंग ऑर्डर में ऊपर भेजा था।
गांगुली ने इस पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का उदाहरण दिया और कहा कि अगर वह वनडे में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते रहते तो वह इतने महान खिलाड़ी नहीं होते। सौरव गांगुली ने कहा है, “उन्हें (धोनी) को विशाखापट्टनम में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला, शानदार शतक बनाया और जब भी उन्हें अधिक ओवर खेलने का मौका मिला, उन्होंने बड़ा स्कोर बनाया।
गांगुली ने आगे कहा कि उन्हें धोनी की काबिलियत के बारे में पहले से पता था, इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया। धोनी इस मैच से पहले उनकी ही कप्तानी में चैलेंजर ट्रॉफी में जोरदार शतक लगा चुके थे। खास बात यह है कि धोनी ने यह शतक एक सलामी बल्लेबाज के रूप में लगाया था। गांगुली के मुताबिक, एक खिलाड़ी अच्छा तभी बन सकता है जब उसे ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करने का मौका मिले।
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