JEE-NEET: बिना परीक्षा मिल सकता है एडमिशन? ये है करियर एक्सपर्ट की राय



JEE-NEET एंट्रेंस परीक्षाओं को लेकर लेकर चर्चा तेज हो गई है. इस विषय पर सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन की बाढ़ आ गई है, जिसमें छात्रों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. ये सभी छात्र परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी समेत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने छात्रों की मांग पर सहमति जताई है. 

बता दें, लंबे समय से छात्र कोरोना वायरस केस की बढ़ती संख्या को देखते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी. SC के इस फैसले से छात्र बिल्कुल भी खुश नहीं हैं.

दूसरी ओर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) जो इन परीक्षा का आयोजन करती है, उन्होंने कहा, अब परीक्षा को स्थगित नहीं किया जाएगा, क्योंकि इससे अगले साल का शैक्षणिक कैलेंडर प्रभावित होगा. JEE-NEET एंट्रेंस परीक्षाओं को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, ऐसे में आज तक से करियर काउंसलर और MANUU के पूर्व चांसलर ने बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया परीक्षा होनी चाहिए या नहीं.

क्या बिना परीक्षा के मिल सकता है एडमिशन?

आज तक ने मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला से सवाल पूछा कि क्या बिना एंट्रेंस परीक्षा करवाए छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन देना संभव है, क्या परीक्षा के अलावा कोई और विकल्प है?

जफर सरेशवाला ने कहा, हमारे देश में इंजीनियरिंग और मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए परीक्षा देने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं है. इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए परीक्षा का ही आयोजन किया जाता है. यही नियम विदेशों में भी है. इसलिए परीक्षा देने के अलावा छात्रों के पास कोई और चारा नहीं है.

बता दें, ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE) की परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक आयोजित होगी, जबकि नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET)  की परीक्षा 13 सितंबर को होगी.

जफर सरेशवाला ने बच्चों से कहा, 'असल में इन परीक्षाओं का आयोजन अप्रैल में होना था, जो कोरोना वायरस के कारण टल गई थीं. ऐसे में आप परीक्षा देने के लिए तैयार हैं, आपकी तैयारी पूरी है. वहीं कोरोना के कारण हर एक छात्र को परीक्षा की तैयारी के लिए चार महीने एक्सट्रा मिले हैं. उन्होंने कहा, कोरोना की वजह से परीक्षा चार महीने आगे बढ़ चुकी है. अगर ये परीक्षा और आगे बढ़ी तो छात्रों के करियर को नुकसान हो सकता है.'

करियर काउंसलर जुबिन मल्होत्रा ने कहा, बिना परीक्षा के कोई रास्ता नहीं है, लेकिन अगर परीक्षा नहीं होती है तो बच्चे का साल बिगड़ेगा और उसका करियर उजड़ जाएगा. एक साल की कीमत क्या होती है वह एक छात्र ही समझ सकता. क्योंकि इन परीक्षा में उम्र की योग्यता भी होती है, अगर किसी छात्र की उम्र इस साल निकल गई तो उसे भविष्य में काफी परेशानी हो सकती है.

इसी के साथ परिवार को आर्थिक नुकसान भी होगा, क्योंकि माता- पिता इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए दो साल तक अपने बच्चे की कोचिंग पर खर्च करते हैं, यदि बच्चे का एडमिशन इस साल नहीं होता है तो उनका पैसा बेकार चला जाएगा.

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