शेरो-सुख़न (Shayari) की दुनिया में हर जज़्बात (Emotion) को बेहद ख़ूबसूरती के साथ काग़ज़ पर उकेरा गया है। इसी तरह शायरी में जहां मुहब्बत की बात की गई है व इससे लबरेज़ जज़्बात को बहुत ख़ूबसूरती के साथ बयां किया गया है।
इसी में से है बारिश का मौसम। शायरी में इस मौसम की सम्मान को बहुत ही दिलकश अंदाज़ में पेश किया गया है। आज हम शायरों के ऐसे ही बेशक़ीमती कलाम से चंद अशआर आपके लिए 'रेख़्ता' के साभार से लेकर हाजिर हुए हैं। शायरों के ऐसे अशआर जिसमें बात 'बारिशों की हो व शायर की कैफियत, उसके दिल की हालत का जिक्र हो। तो आप भी इसका लुत्फ़ उठाइए
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या कठिनाई हुई
जमाल एहसानी
मैं वो सहरा जिसे पानी की दरिंदगी ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
सुल्तान अख़्तर
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
परवीन शाकिर
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'
बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया
अब्दुल हमीद अदम
दूर तक छाए थे बादल व कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
क़तील शिफ़ाई
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख आयु भर का था
अख़्तर होशियारपुरी
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
निदा फ़ाज़ली
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याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
नासिर काज़मी
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
सुदर्शन फ़ाकिर
गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूंदें
कोई बदली तेरी पाज़ेब से टकराई है
क़तील शिफ़ाई
बरस रही थी बारिश बाहर
व वो भीग रहा था मुझ में
नज़ीर क़ैसर
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'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकां
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा
कैफ़ भोपाली
क्या कहूं दीदा-ए-तर ये तो मेरा चेहरा है
संग कट जाते हैं बारिश की जहां धार गिरे
शकेब जलाली
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घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियां
छतों पर खिले फूल बरसात के
मुनीर नियाज़ी
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