‘गरीब’ किसान कर रहा है तीन एकड़ में एक करोड़ की खेती, कच्छ के रण में भी संभव

राजस्थान के एक किसान ने अपने 3 एकर जमीन में 1 करोड़ की खेती करके सभी को आकर्षित किया है। खेमाराम नाम के किसान की इस पद्धति को सीखने कच्छ और बनासकांठा के कई किसान भी उनके पास गए थे। जिसके बाद अब यह किसान बनासकांठा, सुरेन्द्रनगर, कच्छ, पाटन और महेसाना जैसे इलाकों में इस पद्धति का इस्तेमाल करेंगे। खेमाराम ने पोली हाउस, ड्रिप इरिगेशन, सोलर पैनल, फैन पेड जैसी तरकीबें इस्तेमाल करके खेती बढ़ाने की तरकीब आजमाई थी। मिल रहा है दस गुना फायदा खेमाराम को राजस्थान सरकार द्वारा 2012 में इजराइल खेती करने के लिए भेजा था। जहां उन्होंने खेती की विभिन्न पद्धतियां सीखी। इजराइल की पद्धति से खेती कर उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने उन्हें 4 हजार चोरस मीटर पॉलीहाउस बनाने के लिए ग्रांट दी थी। खेती की नई तकनीकों से खेमाराम ने पहले चार महीनों में ही 12 लाख की ककड़ी बेची थी। जिसके चलते उन्होंने तुरंत ही बैंक की लोन भर दी थी। इसके बाद उन्होंने 2019 में तीन हेक्टर जमीन में एक करोड़ का टर्नओवर किया था। इस तरह से इजराइली मॉडल पर […]

राजस्थान के एक किसान ने अपने 3 एकर जमीन में 1 करोड़ की खेती करके सभी को आकर्षित किया है। खेमाराम नाम के किसान की इस पद्धति को सीखने कच्छ और बनासकांठा के कई किसान भी उनके पास गए थे। जिसके बाद अब यह किसान बनासकांठा, सुरेन्द्रनगर, कच्छ, पाटन और महेसाना जैसे इलाकों में इस पद्धति का इस्तेमाल करेंगे। खेमाराम ने पोली हाउस, ड्रिप इरिगेशन, सोलर पैनल, फैन पेड जैसी तरकीबें इस्तेमाल करके खेती बढ़ाने की तरकीब आजमाई थी। मिल रहा है दस गुना फायदा खेमाराम को राजस्थान सरकार द्वारा 2012 में इजराइल खेती करने के लिए भेजा था। जहां उन्होंने खेती की विभिन्न पद्धतियां सीखी। इजराइल की पद्धति से खेती कर उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने उन्हें 4 हजार चोरस मीटर पॉलीहाउस बनाने के लिए ग्रांट दी थी। खेती की नई तकनीकों से खेमाराम ने पहले चार महीनों में ही 12 लाख की ककड़ी बेची थी। जिसके चलते उन्होंने तुरंत ही बैंक की लोन भर दी थी। इसके बाद उन्होंने 2019 में तीन हेक्टर जमीन में एक करोड़ का टर्नओवर किया था। इस तरह से इजराइली मॉडल पर

राजस्थान के एक किसान ने अपने 3 एकर जमीन में 1 करोड़ की खेती करके सभी को आकर्षित किया है। खेमाराम नाम के किसान की इस पद्धति को सीखने कच्छ और बनासकांठा के कई किसान भी उनके पास गए थे। जिसके बाद अब यह किसान बनासकांठा, सुरेन्द्रनगर, कच्छ, पाटन और महेसाना जैसे इलाकों में इस पद्धति का इस्तेमाल करेंगे। खेमाराम ने पोली हाउस, ड्रिप इरिगेशन, सोलर पैनल, फैन पेड जैसी तरकीबें इस्तेमाल करके खेती बढ़ाने की तरकीब आजमाई थी।

मिल रहा है दस गुना फायदा

खेमाराम को राजस्थान सरकार द्वारा 2012 में इजराइल खेती करने के लिए भेजा था। जहां उन्होंने खेती की विभिन्न पद्धतियां सीखी। इजराइल की पद्धति से खेती कर उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने उन्हें 4 हजार चोरस मीटर पॉलीहाउस बनाने के लिए ग्रांट दी थी। खेती की नई तकनीकों से खेमाराम ने पहले चार महीनों में ही 12 लाख की ककड़ी बेची थी। जिसके चलते उन्होंने तुरंत ही बैंक की लोन भर दी थी। इसके बाद उन्होंने 2019 में तीन हेक्टर जमीन में एक करोड़ का टर्नओवर किया था। इस तरह से इजराइली मॉडल पर खेती करने से उन्हें दस गुना फायदा मिल रहा है।

खेमाराम इसके पहेल बहुत ही गरीब थे। हालांकि नई तकनीकों से खेती करने के बाद वह करोड़पति बन गए है। अब उनके पास 7 पोली हाउस, 2 तालाब, 4 हजार स्क्वेयर मीटर के फैन पेड़, 40 kW सोलर पैनल है।

बारिश का पानी जमा करके होती है खेती

खेमाराम ने आधे हेक्टर जमीन में दो तालाब बनाए है। जिसमें बारिश का पानी जमा होता है। यह पानी 6 महीने तक सिंचाई के इस्तेमाल में आ सकता है। इसके अलावा ड्रिप इरिगेशन और हरे घास की पद्धति भी काफी असरकारक है। हरे घास की पद्धति द्वारा फसल को हवामान कि विपरीत असरों से बचाया जा सकता है। इस पद्धति से तरबूज, ककड़ी, टिंडे और फूलों की खेती काफी ज्यादा मात्रा में हो सकती है।

इसके अलावा सोलर पैनल की मदद से फसलों को समय समय पर पानी मिलता है। इसके अलावा सोलर पैनल से फैन पेड़ भी चलाए जा सकते है। फैन पेड़ का एक बार का इंस्टॉलेशन खर्च बहुत ज्यादा है, पर एक बार खर्च करने के बाद वह किसान को काफी फायदा करवाता है।

फिलहाल गुडा कुमावतन के 200 किसान इस तरह से खेती कर रहे है। उन सभी ने 200 पोली हाउस बनाए है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में यह गांव मिनी इजराइल के नाम से भी प्रसिद्ध है।


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