सरकार चीनी निर्यात पर दी जा रही सब्सिडी का विस्तार नये चीनी वर्ष 2020- 21 में किए जाने पर फिलहाल विचार नहीं कर रही है। रेल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को यह कहा। गोयल फिलहाल खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग का भी कामकाज देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल चीनी के दाम स्थिर बने हुए हैं, इसलिए निर्यात सब्सिडी को आगे बढ़ाने पर फिलहाल कोई विचार नहीं किया जा रहा है। वहीं खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने इस अवसर पर कहा कि देश से 2019- 20 में अब तक की सर्वाधिक 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि गन्ने का बकाया कम है और मिलें इस साल इसका भुगतान तेजी से कर सकतीं हैं।
चीनी मिलों को हो रहा था नकदी का संकट
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। देश में चीनी के अतिरिक्त भंडार को कम करने के लिए सरकार ने चीनी निर्यात को बढ़ाने के वास्ते उस पर सब्सिडी की पेशकश की। चीनी का अधिशेष स्टॉक जमा होने से चीनी मिलों को भी नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा था और वह किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर नहीं कर पा रही थी। चीनी का सत्र अक्टूबर से सितंबर माह तक चलता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीनी मिलों ने चीनी वर्ष 2019- 20 के लिए तय किए गए 60 लाख टन चीनी निर्यात के अनिवार्य कोटा के समक्ष अब तक 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। गोयल ने आभासी संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''चीनी (निर्यात) सब्सिडी पर वर्तमान में विचार नहीं किया जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम स्थिर बने हुये हैं। यदि इसकी कोई आवश्यकता हुई तो सरकार उचित समय पर इस पर गौर करेगी।
गन्ने के बकाये का भुगतान में नहीं होगी दिक्कत
गोयल से पूछा गया था कि क्या सरकार चीनी निर्यात सब्सिडी को तीसरे साल में भी जारी रखने पर विचार कर रही है। मंत्री ने यह भी कहा कि घरेलू बाजार में चीनी के दाम वर्तमान में 40 रुपये प्रति किलो के आसपास स्थिर बने हुए हैं। यह स्तर चीनी मिलों की उत्पादन लागत के अनुरूप ठीक है। ''इससे चीनी मिलों को गन्ने के बकाये का भुगतान करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
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