दिसंबर की तीसरे सप्ताह से मौसम तेजी से बदला और पारा गिर रहा है.मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है कि इस बार ठंड अधिक होगी. इसके लिए लोगों ने अपने स्तर पर तैयारियां भी कर ली हैं और कोरोना के कारण चल रहे वर्क फ्रॉम होम के कारण काफी हद तक राहत भी है. हालांकि कड़ाके की ठंड का हमारा पैमाना दुनिया के उन हिस्सों से एकदम हल्का है, जहां असल में हड्डियां जमाने वाली सर्दी पड़ती है.
मिनेसोटा का इंटरनेशनल फाल्स नाम का शहर इतना ठंडा है कि इसे अमेरिका का आइसबर्ग कहते हैं. यहां पर रिकॉर्ड -55 डिग्री सेल्सियस तापमान रह चुका है. इस ठंड का अनुमान यहां की औसत बर्फबारी से लग सकता है, जो 71.6 इंच है. ये पूरे अमेरिका में सबसे ज्यादा है. वैसे भयंकर ठंड के बावजूद ये शहर सैलानियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है. यहां गर्मियों के दौरान आइस फिशिंग और कनाडा से सीमा सटी होने के कारण क्रॉस-कंट्री स्कीइंग भी होती है.
कजाकस्तान के अस्ताना शहर में जनवरी में औसत तापमान -14 डिग्री सेल्सियस रहता है. वहीं एक्सट्रीम सर्दियों में पारा गिरकर -61 डिग्री तक भी जा चुका है. यही वजह है कि वास्तु के लिहाज से बेहद खूबसूरत घरों और मस्जिदों से घिरे शहर की सड़कें ज्यादातर खाली पड़ी रहती हैं. यहां की नदियां नवंबर से लेकर अप्रैल की शुरुआत तक जमी रहती हैं और गर्मी आते ही सामान्य नदी की तरह बहने लगती हैं.
उलान बातार मंगोलिया का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है. समुद्र से लगभग 4,430 फीट ऊंचाई पर बसा ये शहर दुनिया की सबसे ठंडी राजधानी है, जहां जनवरी में औसत तापमान -24 डिग्री सेल्सियस होता है, जो घटकर -50 डिग्री तक भी जा सकता है. यहां के नागरिकों के लिए ठंड का मतलब ही हड्डियां जमाने वाली सर्दी है. वैसे अपनी वन संपदा और वास्तु-संस्कृति के लिए भी ये शहर जाना जाता है. यहां तिब्बती शैली के बौद्ध मंदिर हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं.
कनाडा का शहर यलोनाइफ भी बर्फीली तूफानों के लिए जाना जाता है. अपने-आप में सबसे ठंडे देशों में से एक कनाडा का ये हिस्सा एक्सट्रीम ठंडा है, जहां जनवरी का औसत तापमान -27 डिग्री होता है. कम होते हुए ये -60 डिग्री तक भी चला जाता है. हालांकि मजे की बात है कि गर्मी के समय यही शहर कनाडा के सबसे रोशन शहरों में से है. यलोनाइफ को अपनी सख्त बर्फ के कारण रोमांच पसंद करने वालों का मक्का माना जाता है.
रूस का नॉरिल्स्क शहर दुनिया के सबसे उत्तरी छोर पर बसा शहर है. यहां की आबादी लगभग एक लाख है. शहर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन संग्रहालय और घूमने की जगहें हैं. लेकिन इसके बाद भी यहां पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिल सका तो इसकी वजह है यहां की सर्दियां. नॉरिल्स्क में औसत तापमान तो -30 डिग्री रहता ही है, साथ ही रिकॉर्ड सर्दी में ये गिरकर -63 डिग्री तक चला जाता है. यहां पर माइनिंग इंडस्ट्री भी है, जिसके कारण शहर सर्दियों में गहरे काले-लाल धुएं से ढंक जाता है. ऐसे में किसी बड़े खतरे को देखते हुए रूस की सरकार ने इस शहर को बाहरी पर्यटकों के लिए साल 2001 में ही बंद करवा दिया.
याकुत्स्क नाम का रूसी शहर इस लिस्ट में सबसे ऊपर है, जिसे दुनिया का सबसे ठंडा शहर माना जाता है, जहां इंसानी आबादी रहती है. यहां का सबसे ठंडा तापमान -83 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हो चुका है. यहां हर चीज बर्फ और धुएं से ढंकी रहती है. रूस की लीना नदी के किनारे बसे इस शहर में मछलियों को दुकानों के बाहर सजा दिया जाता है और वे महीनों ताजा रहती हैं क्योंकि लगातार बर्फ में रहती हैं. यहां पर जिनेवा से एक फोटोग्राफर Steeve Iuncker ये जानने के लिए पहुंचा कि क्या इतनी ठंड में रहने पर यहां के लोगों के भावनात्मक व्यवहार में कोई बदलाव आता है या क्या वे अलग तरीके से व्यवहार करते हैं. हालांकि काफी समय तक फोटोग्राफर बाहर निकलने की ही हिम्मत नहीं कर सका. बाद में उसने पाया कि बर्फ का इंसानी भावनाओं से खास ताल्लुक नहीं.
रूस का ही एक और शहर भी सबसे ठंडे शहरों की कतार में है. ओइमाकॉन नाम का ये शहर साइबेरिया में बर्फीली घाटी के पास बसा है. यहां की जमीन सर्दियों में बर्फ से जमकर इतनी सख्त हो जाती है कि मरने के बाद लोगों को कब्र में दफनाया जाना भी मुश्किल होता है. लगातार दो से तीन दिन तक जमीन को गला-गलाकर खोदने के बाद ही दफन किया जा पाता है. जनवरी के महीने में आमतौर पर यहां पर औसत तापमान माइनस 50 डिग्री के आसपास बना रहता है. यहां पर सबसे कम तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. जुलाई में यहां जब गर्मियां आती हैं तो दिन का तापमान 18.7 डिग्री के आसपास हो जाता है. बस यही तापमान यहां की सबसे ज्यादा गर्मी है, जिसमें लोग बाहर घूमते और कसरत भी करते हैं. वरना आम दिनों में कसरत या थोड़ी शारीरिक मेहनत से ही यहां सांस रुकने के कारण जान जाने का खतरा बना रहता है.
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