जब हाथों में सिर रखकर ज़ोर से चिल्लाया जनरल नियाज़ी- रावलपिंडी वालों ने मरवा दिया




नई दिल्ली. पैरा कमांडो (Para Commando) समेत इंडियन आर्मी (Indian Army) चारों तरफ से बांग्लादेश की राजधानी ढाका को घेर चुकी थी. पाकिस्तान आर्मी (Pakistan Army) के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी तक सरेंडर (Surrender) करने का चेतावनी भरा खत भी पहुंच चुका था. उनके सैकड़ों सैनिक मारे जा चुके थे. तभी नियाज़ी ने खत की वो एक लाइन सुनकर अपना सिर दोनों हाथों में रख लिया और ज़ोर से चिल्लाया, ‘रावलपिंडी में बैठे हरामजादों ने मरवा दिया’. इसके बाद ही पाक सेना के 93 हज़ार सैनिकों ने सरेंडर कर दिया.

सबसे पहले एक पिस्तौल डालकर किया था सरेंडर

'16 दिसंबर की सुबह 10.45 बजे मैं अपनी टीम के मेजर सेठी, लेफ्टिनेंट तेजेंदर और कैप्टन मेहता के साथ ढाका में दाखिल हो गया. यह पहला मौका था जब भारतीय सेना ढाका में घुस रही थी. हम एक जीप में सवार थे और सरेंडर का मैसेज ले जाते हुए इतिहास का हिस्सा भी बनने जा रहे थे. पाक सेना के मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद के हाथों में वो खत दिया गया था. यह एक लाइन का खत कुछ इस तरह से था, 'My dear Abdullah, I am here. The game is up, I suggest you give yourself up to me and I will take care of you.' मेजर जनरल जी. नागरा ने यह खत नियाज़ी के नाम लिखा था. इसके बाद ही जमशेद हमारी जीप में बैठकर हमारे ठिकाने तक आए और अपनी पिस्तौल मेजर जनरल जी. नागरा को सौंपकर सरेंडर की शुरुआत की.'



बाद में लेफ्टिनेंट जनरल और गर्वनर बन कैप्टन शर्मा

1971 की लड़ाई जीतने और उसके बाद पराक्रम दिखाने वाले कैप्टन निर्भय शर्मा लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचे. रिटायर्ड होने के बाद पहले अरुणाचल और फिर मिजोरम के गर्वनर भी रहे. साथ ही यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के मेंबर भी रहे. और सबसे अहम बात यह कि जनरल शर्मा ने कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट में आतंकवाद के खिलाफ बहुत काम किया. वक्त-वक्त पर उनकी बहादुरी लिए उन्हें पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम और वीएसएम अवार्ड से भी नवाज़ा गया.

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