झूठ पकड़ने के ये ट्रिक्स आएंगे आपके काम, नहीं खाएंगे धोखा!





जिंदगी में कई मोड़ ऐसे आते हैं जब हमारा रिश्तों और प्यार पर से विश्वास उठ जाता है. ऐसा बेवजह नहीं होता. जब बेहद आत्मीय रिश्ते भी साथ छोड़कर चले जाते हैं और हम खुद को ठगा हुआ और एमदम खाली सा महसूस करते हैं. ऐसा हालात की वजह से हो सकता है. लेकिन जरूरी नहीं कि इसके लिए हालात ही जिम्मेदार हों. कई बार सामने वाला कई चेहरे लिए हमें झूठ की चाशनी में लपेटता रहता है और हम भी मुग्ध भाव से उसकी कही हर बात को आखिरी सच मान कर यकीन कर लेते हैं. ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि सामने वाला सच बोल रहा है या झूठ लेकिन नामुमकिन नहीं है.

मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली ने इंसान की फ़ितरत पर एक शेर लिखा है, 'हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना. एक कहावत भी है कि हर व्यक्ति के तीन चेहरे होते हैं. एक चेहरा संसार को दिखाने के लिए, एक दोस्तों और जान-पहचान वालों के लिए और एक चेहरा खुद का असली जो वो किसी को दिखाना पसंद नहीं करता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीके जिन्हें अपनाकर आप समझ पाएंगे लोगों का असली चेहरा, पकड़ पाएंगे उनका झूठ और नहीं खाएंगे जिंदगी में धोखा.

अंग्रेजी में एक कहावत है 'Actions speak louder than words' यानी कर्म और प्रतिक्रियाएं शब्दों से ज्यादा वजनदार और ताकतवर होती हैं. अच्छा और प्रिय बोलने वाला हमेशा सही व्यक्ति हो जरूरी तो नहीं. इसके लिए आपको बारीकी से लोगों का अवलोकन करना होगा. क्या जो वादे लोग करते हैं या बातें जो लोग कहते हैं उन्हें वो पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं ये बहुत मायने रखता है. कोशिश तो कोई भी कर सकता है. लेकिन अगर कोई अपनी बातों को लेकर अडिग है तो वो उसपर खरा उतरने के लिए हर अग्निपरीक्षा को पार करेगा. खोखली बातों में न फंसे.


Dr. Lillian Glass जोकि मानव व्यवहार के अच्छे जानकार हैं लिखते हैं कि अगर कोई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा जानकारी साझा करें जिसकी जरूरत भी न हो तो इसका मतलब है कि जरूर कुछ गड़बड़ चल रहा है.

कई बार लोगों की शारीरिक क्रियाओं से भी उनके मन में चल रही भावनाओं का अंदाजा हो जाता है. लेकिन जब आब बारीकी से गौर करेंगे तो उनके कार्य-व्यवहार में एक अंतर आपको साफ़ नजर आएगा. झूठे लोग कभी अपनी आलोचना को लेकर सकारात्मक नहीं रहते.

नोट: जब भी आपका दिल आवाज दे कि रुक जाओ, मत करो विश्वास, झूठ बोल रहा है अगला व्यक्ति तो सामने वाले की बातों में न आकर अपने दिल की बात सुनें. दिल की आवाज ही आत्मा की आवाज होती है जो आपसे झूठ नहीं कह सकती. जब कशमकश दिमाग और दिल के बीच में हो तो हमेशा दिल का साथ चुनें

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