बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड कर लिया है। उन्होंने मुंबई में अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। उनके सुसाइड की खबर से हर कोई सदमे में है। बॉलीवुड में उनके निधन से शोक की लहर है। अभी आत्महत्या की वजह का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि सुशांत 6 महीने से डिप्रेशन का शिकार थे।
कई लोगों में डिप्रेशन या दिमागी तकलीफ को लेकर एक गलत धारणा है कि ये सिर्फ उसे ही होती हैं, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ हो या जिसके पास दुखी होने की बड़ी वजहें हों। डिप्रेशन किसी सामान्य इंसान को भी हो सकता है। डिप्रेशन के दौरान इंसान के शप्र रीर में खुशी देने वाले हॉर्मोन्स जैसे कि ऑक्सिटोसीन का बनना कम हो जाता है।
यही वजह है कि डिप्रेशन में आप चाहकर भी खुश नहीं रह पाते। आपने किसी ऐसे इंसान को देखा होगा, जो अपने आप से बातें करते रहते है या फिर हमेशा मरने की बातें करते है। हर छोटी-छोटी बात पर रो देते है। आप उन खुशमिजाज़ और मस्तमौला लोगों से भी मिले होंगे, जिनकी खुदकुशी की ख़बर पर आपको यकीन नहीं होता। ऐसे लोग डिप्रेशन या मानसिक परेशानी के शिकार होते है। आइए जानते है कि कैसे आपको डिप्रेशन से लड़कर जीवन की जंग जीत सकते हैं।
ऐसे समझे आप डिप्रेशन में हैं
हमारे दिमाग में एक व्हाइट मैटर होता है जिसमें फाइबर होते हैं। ये दिमाग के सेल्स को एक-दूसरे से कनेक्ट होने से रोकता है। व्हाइट मैटर के द्वारा ही हम भावनाओं को महसूस कर पाते हैं और कुछ सोचने की क्षमता रख पाते हैं। हालांकि डिप्रेशन लोगों के लिए आज के समय में एक साधारण-सी बीमारी हो चुकी है जिसमें अगर व्यक्ति को नींद ना आए, घबराहट हो या स्ट्रेस हो तो समझ लीजिए कि आप डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।
ये हार्मोंस भी होते है जिम्मेदार
हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स होते हैं जो विशेष रूप से सेरोटोनिन ,डोपामाइन या नोरेपाइनफिरिन खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं लेकिन अवसाद की स्थिति में यह असंतुलित हो सकते हैं। इनके असंतुलित होने से व्यक्ति में अवसाद हो सकता है परन्तु यह क्यों संतुलन से बाहर निकल जाते हैं इसका अभी तक पता नहीं चला है।
डिप्रेशन के लक्षण
- अगर आपको याद नहीं कि आप आखिरी बार खुश कब थे.
- बिस्तर से उठने या नहाने जैसी डेली रुटीन की चीजें भी आपको टास्क लगती हैं।
- आप लोगों से कटने लगे हैं।
- आप खुद से नफरत करते हैं और अपने आप को खत्म कर लेना चाहते हैं।
- अगर आप इन बातों के अलावा गूगल पर खुदकुशी के तरीके सर्च करते हैं तो आपको तुरंत मदद लेनी चाहिए।
- अवसाद के रोगी भीतर से हमेशा बेचैन प्रतीत होते हैं तथा हमेशा चिन्ता में डूबे हुए दिखाई देते हैं।
- यह कोई भी निर्णय लेने पर स्वयं को असमर्थ पाते हैं तथा हमेशा भ्रम की स्थिति में रहते हैं।
- अवसाद का रोगी अस्वस्थ भोजन की ओर ज्यादा आसक्त रहता है।
- अवसाद के रोगी कोई भी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं।
- कुछ अवसाद के रोगियों में बहुत अधिक गुस्सा आने की भी समस्या देखी जाती है।
- हर समय कुछ बुरा होने की आशंका से घिरे रहना।
क्या करें?
- हमेशा मुस्कुराते रहें। लोगों से ज्यादा से ज्यादा घुलने मिलने की कोशिश करें।
- रोजाना धूप में बैठें, इससे डिप्रेशन का खतरा कम होता है।
हमेशा पॉजिटिव सोच रखें।
- बच्चों के साथ खेलें।
- डॉग या दूसरा कोई पालतू जानवर पालें।
- डॉक्टर की सलाह लें।
- रोज सुबह ध्यान लगाये
- अपना पसंदीदा म्यूजिक सुने और पसंदीदा मूवीज देखें
- आशावान बनें क्योंकि हम सब के सामने समस्याएं आतीं हैं, लेकिन चिन्ता करना उनका हल नहीं। शांत दिमाग़ से समस्याओं पर विचार करें। कोई न कोई रास्ता जरूर नजर आयेगा क्योंकि हम इसी डिप्रेशन के कारण रास्ता सामने होने पर भी उसे देख नहीं पाते हैं।
- अपने परिवार के साथ वक्त बिताये और अपनी समस्याएं शेयर करें। इससे आपका मन हल्का होगा और आपको सही दिशा दिखलाने में वे मदद करेंगे।
- यह मान लें कि "परिवर्तन ही सच है" और इसे अपने व्यवहार में उतारने की कोशिश करें।
- किसी शांत ,स्वच्छ व रमणीय स्थल पर घूमने जायें।
अच्छी बुक्स पढ़े जैसे - पसंदीदा उपन्यास व दर्शन संबंधी किताबें।
- उन तत्वों से दूरी बना लें जो आपको लगातार परेशान करते हैं।
- श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन कर उसे आत्मसात करने की कोशिश करें। और कर्म फल की इच्छा छोड दे।
- योग करें । और मनपसंद खाना खाए ।।
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