इस दुनियां में हर किसी को पैसा प्यारा होता हैं. पैसा ही वो चीज हैं जिसके लिए इंसान दिन रात मेहनत करता हैं. यदि आपकी जेब में पैसा हैं तो लाइफ आसान बन जाती हैं. जब बात पैसो की आती हैं तो भारत में कागज के नोट और सिक्के चलते हैं. कागज के नोटों में सबसे बड़ा रुपैया 2000 का होता हैं. देखने में तो ये आम कागज़ लगता हैं लेकिन मार्केट में इसकी कीमत पुरे 2000 होती हैं. अब ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि इन नोटों को छापने में कितने पैसे खर्च होते होंगे? यदि इन नोटों के ऊपर के नंबर को हटा दिया जाए तो इनकी असली कीमत क्या होगी? आज हम आपके इन्ही सवालों का जवाब देंगे.
आपको बता दे कि भारत में नोट छापने का अधिकार RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) के पास हैं. ये RBI सिक्के और 1 रूपए के नोट को छोड़कर हर कीमत के नोट छाप सकती हैं. दरअसल एक रूपए के नोट और अन्य सिक्के छापने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास होता हैं. इसलिए यदि आप ने ध्यान दिया हो तो एक रूपए के नोट पर रिजर्व बैंक के गर्वनर के नहीं बल्कि वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं. इन सिक्कों और एक रुपए के नोट को छपने के बाद वित्त मंत्रालय इन्हें रिजर्व बैंक को दे देता हैं.
भारत में 1957 से अब तक MRS (Minimum Reserve System) के आधार पर पैसो की छपाई की जाती हैं. इस प्रणाली के अंतर्गत RBI हमेशा 200 करोड़ की संपत्ति अपने पास संभाल कर रखती हैं. इन 200 करोड़ में 115 करोड़ रुपैया सोने के रूप में होता हैं बल्कि बाकी का 85 करोड़ रुपैया विदेशी मुद्रा का होता हैं. इस न्यूनतम आरक्षी प्रणाली के तहत RBI अर्थव्यवस्था में आए उतार चढ़ाव के मुताबिक नोटों की छपाई करता हैं.
हाल ही में नोटबंदी के कारण RBI को 200, 500 और 2000 रुपये के नोटों की छपाई करनी पड़ी थी जिसमे कुल 7,965 करोड़ रुपये का खर्चा आया था. ये खर्चा पिछले साल आए खर्चे ( 3,420 करोड़ रुपये) से ज़्यादा था. किसी भी नोट को छापने के लिए कागज़, स्याहीं, सुरक्षा धागा और मशीनों की आवश्यकता होती हैं. ऐसे में इन अलग अलग नोटों को छापने में RBI को ये खर्चा आता है.
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