आचार्य चाणक्य हमारे देश के एक ऐसे महान विद्वान रहे है जिनकी बताई गयी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी. वे चाणक्य ही थे जिन्होंने अपनी कूटनीति के द्वारा साधारण चन्द्रगुप्त को मगध का राजा बना दिया था. चाणक्य ने ”चाणक्य नीति” नामक किताब लिखी. जिसमे ऐसी बातें बताई गयी है जो हमारे जीवन को एक सार्थक मोड़ दे सकती है.
हमें जीवन जीने का सही रास्ता बताती है. हमें अपने जीवन में क्या करना है और क्या नहीं ? इनका बड़ा अच्छा वर्णन चाणक्य नीति में मिलता है. आचार्य चाणक्य की बताई गयी 10 बातें में आज यहाँ आपके साथ शेयर कर रहा हूँ जो आपके जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते है.
1, मुर्ख लोगो से कभी विवाद न करे :-
चाणक्य कहते है कि हमें कभी भी मुर्ख लोगो के साथ विवाद नहीं करना चाहिए. मुर्ख लोगो के पास बिलकुल भी समझदारी नहीं होती अगर आप उनसे विवाद करेंगे तो नुकसान आपका ही होगा. ऐसे लोगो के साथ बहस होने पर आपकी इज्जत कम हो जाएगी. ऐसे लोग आपको मानसिक तौर पर कमजोर कर सकते है. मुर्ख लोगो से विवाद से बचना हो तो चुप रहे और अपने विवेक से काम ले. इसलिए कभी भी मुर्ख लोगो से विवाद न करे.
2. अपनी कमजोरी किसी को न बताये :-
अधिकांश लोग अपने चहेतो को, अपने नजदीकी रिश्तो में अपनी कमजोरियां उजागर कर देते है जो उन्हें बाद में बड़ी महंगी पड़ जाती है. जब आपका जन्म होता है तब आप सिर्फ अकेले होते है. पैदा होते ही आपके सांसारिक रिश्ते शुरू हो जाते है. समय के साथ आप कई गहरे रिश्ते में बध जाते हो. ऐसे में हम अपनी कमजोरी अपने इन रिश्तो में बता देते है. जो बाद में अन्य लोगो को भी पता चल जाती है. जो हमारे निजी जीवन के लिए ठीक नहीं होता. हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी जरुर होती है. ऐसे में कभी भी अपनी कमजोरी किसी को भी न बताये. चाहे वह आपका दोस्त या आपकी पत्नी ही क्यों न हो. अपनी आत्मा के सम्मान के लिए इससे बचे.
3. आपका एक दोष आपके सभी गुणों को नष्ट कर सकता है :-
जीवन में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते है जब लोगो के पास सुख – सुविधा, धन – वैभव होने के बावजूद भी वे कोई ऐसी गलती कर देते है जिनसे उनका स्वर्ग जैसा जीवन नरक बन जाता है. यह किस कारण होता है – हमारे एक दोष के कारण. भले ही आपमें बहुत से गुण हो. आपका व्यवहार अच्छा हो, आप दयावान हो, आप समाजसेवी हो या आप पैसे वाले हो. आपकी समाज में बड़ी इज्जत है.
लेकिन अगर आपके अंदर एक छोटा सा भी दोष होगा तो वह आपका जीवन बर्बाद कर देगा. दोष जैसे नशेबाजी करना, अय्याशी करना, घमंड करना या जुआ खेलना. इसलिए खुद में झाँक कर देखे की आपके अंदर कोई दोष तो नहीं है. अगर है तो उसे त्याग दे. वरना आपकी मेहनत से बनायीं गई सारी इज्जत एक पल में ही मिटटी में मिल जाएगी.
4. धन को सोच – समझ कर खर्च करे :-
यह वाक्य आपने जरुर सुना होगा कि ”धन है तो जीवन है” बिना धन के तो हम सब कंगाल है. बात बिलकुल पते की है. बिना धन के न इज्जत है न ही सुख – समृद्धि. धन हमारे जीवन में खास रोल अदा करता है. कई ऐसे लोग होते है जो इस धन का बड़ा दुरूपयोग करते है. वे बड़ी मेेेहनत से खून – पसीना लगाकर पैसा कमाते है और फिर उस पैसो को धुंए की तरह उड़ा देते है. अधिकतर लोग ऐसे मैंने देखे है जो दिनभर मजदूरी करते है और शाम होते ही शराब पीकर उस कमाई को बर्बाद कर देते है.
बर्बाद ही करना है तो फिर मेहनत करने का फायदा क्या ?. अगर आपके पास अधिक पैसा भी हो तो उसे भी लिमिट के साथ खर्च करे. समय का कुछ पता नहीं कि कब पलट जाए. आचार्य चाणक्य की यह लाइन याद रखे ” कुबेर भी अपने आय से ज्यादा खर्च करेगा तो कंगाल हो जायेगा “. इसलिए धन कमाए उसकी बचत करे और जब जरुरत हो तभी खर्च करे.
5. बदनामी से डरे :-
आचार्य चाणक्य कहते है कि ” अपमानित हो के जीने से मरना अच्छा है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है ”. हम सभी के अंदर बदनामी का डर होना चाहिए. अगर यह डर खत्म हो गया तो दुनिया बदहाल हो जाएगी. जीवन का सबसे बड़ा दुःख बदनाम होना होता है. यह आदमी को जीते जी हर पल मरवाती है.
यह होता तब है जब हमारी आत्मा भी हमसे कहती है कि आप गलत हो और आपने गलत किया. ज़िन्दगी में कोई ऐसा काम न करे जिससे आपको पूरी ज़िन्दगी बदनामी से जीनी पड़े. एक बार अगर आप बदनाम हो गये तो फिर वापस आप लोगो की नजरो में पहले जैसे नहीं रहोगे. इसलिए जीवन में कोई भी बड़ा स्टेप लेने से पहले हजार बार जरुर सोचे.
6. आलस्य को त्याग दे :-
इस दुनिया में बस 20% लोग ही ऐसे होते है जो सफलता की केटेगरी में आते है. पर दूनिया में लोग तो 100% है तो आखिर ये 80% लोग सफल क्यों नहीं होते ? अब आप कहोगे की इन्हें अच्छी परवरिश मिली होगी या इनके बाप – दादा अच्छे घर से होंगे. नहीं गलत, आज ऐसे कई उदाहरण है जहाँ लोगो ने जमीन से आसमान की बुलंदियां छुई है.
ऐसे लोग जो गरीब जीवन जीते हुए बहुत अमीर बन गये. इन सब में एक बड़ा अन्तर ये भी है की आलस्य का. 80% लोग किसी को करने में आलस्य करते है वही 20% लोग उसी काम को बड़ा मन लगाकर करते है. इसलिए जीवन बेहतर और खुशहाल बनाना है तो आलस्य त्यागो और परिश्रम करना सीखो. याद रखो ” आलसी मनुष्य का कोई भी वर्तमान और भविष्य नहीं होता.
7. जो बात न सुने उस पर विश्वास न करे :-
आपने कई लोगो को देखा होगा जो आपके साथ बैठे रहते है. आपसे बाते करते है. आपने अपनी कोई महत्वपूर्ण बार रखी और वह उसे गौर से सुनने के बजाय अनदेखा करे तो समझ ले की यह इन्सान आपको धोखा जरुर देगा. ऐसे लोगो पर विश्वास करने से बचे. इन लोगो को सिर्फ वही बात बताये जिन्हें आप हर किसी के साथ शेयर कर सकते हो.
अपनी निजी या महत्वपूर्ण बातो को ऐसे लोगो से करने से बचे. अगर आपने ऐसे लोगो को अपनी जरुरी बातें बता दी तो समझ लो की अब आपकी ये बातें निजी नहीं रही. ऐसे लोग इन बातो दूसरो को भी बता देते है. इन लोगो पर विश्वास न करे.
8. दुश्मनों को कैसे करें परास्त, आचार्य चाणक्य ने बनाई है नीति :-
चाणक्य नीति के अनुसार वह व्यक्ति कुशल और योग्य समझा जाता है जो अपनी संतान का विवाह एक अच्छे खान दान में करता है। ऐसा करने से एक परिवार से दूसरे परिवार के बीच में गुणों का आदान-प्रादान होता है। इससे दोनों खानदानों का नाम रोशन होता है। जो व्यक्ति अपनी संतान को अच्छी शिक्षा और संस्कार देता है उसका मान-सम्मान और प्रसिद्धि दूर तक फैली हुई होती है। संतान को अच्छी शिक्षा देने से नौकरी और बिजनेस करने में सफलता मिलती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार कुशल और योग्य व्यक्ति वही होता है जो हमेशा अपने मित्र को सही शिक्षा देता है।
बुरे और संघर्ष के दिनों में एक मित्र दूसरे मित्र की मदद करने वाला व्यक्ति ही आगे चलकर सम्मान प्राप्त करता है। आचार्य चाणक्य की नीति में दुश्मनों से कैसे निपटना चाहिए इसका बहुत ही बढ़िया तारीका बताया है। उन्होंने बताया है कि कभी भी अपने दुश्मनों से घृणा नहीं करनी चाहिए। दुश्मनों को हमेशा अपनी बातों और दिमाग से उलझाए रखें ताकि वह आप पर चाल चलने के बारे में ज्यादा ना सोच सके।
9. अपने से कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के लोगो से दोस्ती न करे :-
आचार्य चाणक्य कहते है कि ” कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी ”. जो लोग आपसे कम प्रतिष्ठा रखते है उनसे अगर आप दोस्ती करोगे तो आप हमेशा परेशानी में ही रहेंगे. ऐसे मित्र आपसे हमेशा मदद की उम्मीद रखेंगे और आपका फायदा लेने की सोचेंगे. अगर आप कभी संकट में होंगे तो ऐसे मित्र आपकी कुछ मदद भी नहीं कर पाएंगे.
वही आपसे अधिक प्रतिष्ठा के लोगो से दोस्ती करने पर आप हमेशा अपने मित्र के साथ अपनी तुलना में लगे रहेंगे और आपके अंदर ईर्ष्या का भाव रहेगा. आप उसके सामने खुद को हमेशा छोटा समझोगे जो आके आत्मसम्मान के लिए ठीक नहीं है. अगर मुसीबत के समय कभी वह आपकी हेल्प न कर पाए तो आपको अपनी मित्रता पर गुस्सा आएगा. इसलिए इस बात का ध्यान रखे की आपका मित्र आपके लेवल का ही हो.
10. वर्तमान में जीवन बिताओ :-
आचार्य चाणक्य कहते है ” हमें भूत के बारे में कभी भी पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य की चिंता होनी चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं ”. अगर आपको अपना जीवन सुखी जीना है तो हमेशा आज में जियें. आपके पास न तो आने वाला कल है और न हीं बिता हुआ कल. आपके पास बस एक ही चीज है वह है – आज. जो बीत गया उसके बारे में पछतावा करते रहोगे तो खुद को ही दुखी करोगे.
बिता हुआ कल अब याद करके वापस तो आने वाला है नहीं. इसलिए बीते कल के बारे में सोचना व्यर्थ है. अगर आप आने वाले कल के बारे में सोचते हो तो वह भी आपको चिंतित ही करेगा. भविष्य के बारे में सोचकर आप अपना आज ख़राब न करे.
11. चाणक्य नीति: कामुक मर्दों की होती है ये पहचान :-
काम-वासना को प्राथमिकता देने वाले मर्दों को लेकर चाणक्य ने कहा है कि जो पराई स्त्रियों को देखकर ललचाते हैं, जो नई-नई स्त्रियों से संबंध बनाना चाहते हैं महिलाओं को उनसे बचकर रहना चाहिए। उनकी पहचान बताते हुए विष्णु गुप्त (चाणक्य) ने कहा है कि ऐसे मर्द जो अधिक महंगे कपड़े पहनते हैं, सजने-संवरने में अधिक ध्यान देते हैं।
ऐसे पुरुषों की काम वासना की भूख कभी समाप्त नहीं होती है, बल्कि वह बढ़ती जाती है। इस तरह के मर्दों का संबंध भी एक से अधिक महिलाओं के साथ होता है। सलिए महिलाओं को ऐसे मर्दों को पहचाना चाहिए। क्योंकि ऐसे मर्द आपको काम-वासना के लिए ही याद करेंगे। आपकी देह ही उन्हें प्रिय होगी और जब आपका शरीर उनके लिए नीरस हो जाएगा तो वे कहीं और से अपनी वासना की भूख मिटाएंगे।
12. खुश रहना है तो लगाव से दूर रहे :-
आप मानो या न मानो पर अधिकांश लोग आज खाने – पीने के लिए दुखी नहीं है बल्कि अपने रिश्तो के कारण दुखी रहते है. जिसका मन उसके साथ नहीं होता वह व्यक्ति दुखी रहता है और इस दुःख का कारण है – लगाव. आचार्य चाणक्य कहते है ” जो अपने रिश्तो के साथ अत्यधिक जुड़ा हुआ होता है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है. सभी दुखों कि जड़ लगाव है ”. जब आप किसी के साथ लगाव रखते हो तो आप माया – मोह के चक्र में फंस जाते हो और यही आपके दुखो का कारण होता है. चाणक्य की बातें वर्तमान माहौल में सटीक बैठती है. आजकल हमें देखने को मिलता है कि आज का युवा रिलेशनशिप में रहने लगा है.
अपनी नौजवानी की Age में वह रिश्ते में रहने लगा है और जब इस रिश्ते में थोड़ी सी भी आपसी खींचतान या झगड़ा होता है तो वह तनाव लेकर बैठ जाते है. उसे अपने पार्टनर को खोने का भय रहता है और इस चिंता में वह टेंशन में डूबा रहता है. वे खुद के लिए जीने के बजाय आपसी लगाव में फंस जाते है. अगर यह लगाव नहीं होगा तो वह अपने लिए वक़्त निकालेगा. खुद को इम्प्रुव करेगा और अपने करियर में सफल होएगा. इसलिए आपको अगर अगर खुश रहना है तो उस रिश्ते से बाहर निकलने की सोचे जिससे आपको बहुत ज्यादा लगाव है |
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